हल्द्वानी - मेयर चुनावों में 2018 में क्या थी शुऐब अहमद और रूपेंद्र नागर की स्थिति, जानिए इन दोनों को कितने मिले थे मत 

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हल्द्वानी - नगर निकाय चुनावों में मेयर उम्मीदवारों में हल्द्वानी नगर निगम सीट से कांग्रेस और भाजपा के बीच अब सीधा मुलाबला है। नाम वापसी के अंतिम समय में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार शोएब अहमद और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन करने वाले रूपेंद्र नागर ने अपना नाम वापस ले लिया है।  जहां निर्दलीय रूपेंद्र नागर ने हिंदुत्व और भाजपा को समर्थन देने की बात कही है, वहीं शुऐब ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया था। पर इससे पहले साल 2018 के निकाय चुनावों में की बात करें तो इन दोनों उम्मीदवारों ने निकाय चुनाव लड़ा था।  

 

शुऐब अहमद ने 9234 तो रूपेंद्र नागर को 2051 मिले थे - 
हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में समाजवादी और कांग्रेस पार्टी का काफी अच्छा वोट बैंक है, ऐसे में 2018 में हल्द्वानी के मेयर चुनाव में समाजवादी के चुनाव चिन्ह पर लड़े शोएब अहमद पर वहां की जनता ने जमकर प्यार लुटाया था, 2018 के नगर निगम हल्द्वानी-काठगोदाम चुनाव परिणाम में भाजपा के मेयर उम्मीदवार डॉ. जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला ने तब हल्द्वानी के विधायक सुमित हृयदेश पर 10854 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी। भाजपा के जोगेद्र पाल सिंह रौतेला ने 64793 मत प्राप्त कर जीत दर्ज की। कांग्रेस के सुमित हृदयेश दूसरे स्थान पर रहे, जिन्हें 53939 मत मिले। समाजवादी पार्टी के शुऐब अहमद ने 9234 मत पाकर तीसरा स्थान हासिल किया। निर्दलीय उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा मत रूपेंद्र नागर निर्दलीय 2051 लेकर आये थे वहीं उक्रांद के सुशील उनियाल 1328, बसपा के शिव गणेश 1254, निर्दलीय ललित मोहन डालकोटी 851, निर्दलीय अनिल कुमार सिंह 785, आम आदमी पार्टी की गीता बल्युटिया 555 और नोटा को 848 मत मिले थे। अब देखना दिलचस्प होगा की इन दोनों उम्मीदवारों के नाम वापस लेने से किस पार्टी को कितना फायदा होगा यह 25 जनवरी को साबित हो जायेगा।  

 


तो कांग्रेस के लिए श्री कृष्ण की भूमिका में आ गए शुऐब?- 
मित्रता एक ऐसा पवित्र रिश्ता है, जो सियासत के सामने भी फीका पड़ गया है, ऐसा ही कुछ शुऐब अहमद ने भी किया है। यह पहली बार है जब हल्द्वानी में समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार सियासी पिच पर नहीं है. सियासत के जानकर बता रहे हैं की महाभारत में जिस तरह से श्रीकृष्ण ने अर्जुन का सारथी बन युद्ध के मैदान में एक बेहतर सारथी होने का परिचय दिया था, ठीक इसी तरह कांग्रेस के ललित जोशी के लिए शुऐब अहमद ने भी कुछ ऐसा ही किया है। आपको बताएं की ललित जोशी और शुऐब अहमद बचपन के सहपाठी भी रहे हैं। ऐसे में जानकर मान रहे हैं की जोशी ने ही समाजवादी पार्टी के अपने दोस्त को बिठाने के लिए यह जतन किये होंगे, अब हालांकि सवाल है की शुऐब सामने आकर कांग्रेस के लिए चुनाव - प्रचार करेंगे या फिर ललित को पर्दे के पीछे से मित्रता वाला गीता का ज्ञान देंगे।  
 

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