देहरादून - लोक सेवा आयोग की परीक्षा में प्रश्न पत्रों के एक समान 4 सैट निकलने पर विपक्ष ने फिर घेरा सरकार को, देखिए क्या हुई हैं आयोग की मिस्टेक 

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एक ओर लोक सेवा आयोग जैसी संबैधानिक संस्था भी
 उत्तराखंड के आंदोलनरत बेरोजगारों की शंकाओं का निदान नहीं कर रही है दूसरी ओर सरकार देहरादून की सड़कों पर बेरोजगार युवाओं का खून बहाने के बाद अध्यादेश के माध्यम से लाये नकल विरोधी कानून का राज्य भर में ढोल पिटती जा रही है।
           तमाम दावों , तैयारियों के बाद कल 5 मार्च 2023 को एक मात्र विश्वसनीय (या अविश्वसनीय भर्ती आयोग ?) राज्य लोक सेवा आयोग उत्तराखंड , हरिद्वार के द्वारा कल 5 मार्च 2023 को एक मात्र विश्वसनीय या अविश्वसनीय भर्ती आयोग राज्य लोक सेवा आयोग उत्तराखंड हरिद्वार के द्वारा कनिष्ठ सहायक भर्ती परीक्षा मे एक कमाल हो गया शायद ये देश की किसी भी भर्ती परीक्षा में पहला प्रकरण होगा। पारदर्शी, नकल विहीन परीक्षा के लिए पेपर हमेशा 4 सेट में बनते हैं और प्रश्नों का क्रमांक सदैव अलग अलग होता है, इसीलिए 4 सेट में पेपर बनते भी हैं। 
       जिन भी युवाओं ने  5 मार्च 2023 को राज्य लोक सेवा आयोग उत्तराखंड हरिद्वार के  कनिष्ठ सहायक भर्ती परीक्षा दी परीक्षा देकर बाहर आने पर उनके पैरों के तले जमीन तब
खिसक गई जब उन्हें पता चला कि इस भर्ती परीक्षा में चारों, A B C D सेट में प्रश्न क्रमांक बिल्कुल समान थे। 
        कल से आयोग के जिम्मेदार अधिकारी अपनी  सफाई देते फिर रहे हैं । लेकिन कोई यह नही बात पा रहा है कि, "सब कुछ बदलने "का दावा करने वाले आयोग द्वारा आयोजित हर परीक्षा में " अक्षम्य गलतियों" का पिटारा क्यों खुल जाता है।
         आयोग द्वारा आयोजित पिछली परीक्षा में कहा गया था कि गाड़ियों के पहाड़ी मार्ग में जंप करने के कारण सील्ड प्रश्नपत्र का बंच खुल गया था । बाद में जब उत्तरकाशी के एक परीक्षार्थी ने इसकी लिखित शिकायत की तो उल्टा उसे नए बहुप्रचारित नकल विरोधी कानून के माध्यम से  मुकदमा दर्ज कर सिकंजे में ले लिया गया।
         इस समय मेहनतकश बेरोजगार परीक्षार्थियों का सवाल सिर्फ इतना है कि , अगर हर सेट में प्रश्नों का क्रमांक एक ही होना था तो पेपर कर 4 सेट में क्यों बनाए गए ?
        राज्य की जनता और अभिवावकों को भी युवाओं की मांग में दम नजर आता है  कि, "जब तक आयोग फूल-प्रूफ व्यवस्था नही कर लेता तब तक उसे नई परीक्षा आयोजित नहीं करनी चाहिए।" 
        सरकार को भी आत्ममंथन करना चाहिए कि,  "आयोग में सबसे योग्य पदाधिकारियों को बिठाने के बाद भी यदि अभी तक  व्यवस्था दुरस्त नहीं हो पा रही है तो क्या उसे इस राज्य में सरकार चलाने का हक है ? "