‘’ ग्राफिक एरा- आंगन से अंतरिक्ष तक बेटियां लहरा रही परचम ,राष्ट्रीय महिला आयोग ने डा. राखी घनशाला को किया सम्मानित’’
देहरादून -( जिया सती ) 30 अगस्त , ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय महिला आयोग और विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं की भूमिका, सुरक्षा और सशक्तिकरण पर गहन विचार-विमर्श हुआ। कार्यक्रम का मुख्य विषय था – “आंगन से अंतरिक्ष तक बेटियां लहरा रही परचम”।
इस अवसर पर राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती विजया रहाटकर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज भारत की बेटियां हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा और संकल्प से नई ऊँचाइयाँ छू रही हैं। चाहे विज्ञान हो, शिक्षा हो या रक्षा, महिलाएँ अब हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
समारोह में ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन की वाइस चेयरपर्सन डॉ. राखी घनशाला को राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान और महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रेरणादायक कार्यों के लिए प्रदान किया गया।
अपने संबोधन में श्रीमती विजया रहाटकर ने कहा कि भारत विश्व का सबसे युवा देश है, और यही युवा पीढ़ी देश के भविष्य की दिशा तय करेगी। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे जागरूक बनें, समाज की समस्याओं को समझें और समाधान का हिस्सा बनें।
महिला आयोग की अध्यक्ष ने इस बात पर विशेष बल दिया कि महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों से संबंधित कानूनों की जानकारी हर व्यक्ति तक पहुँचना जरूरी है। उन्होंने डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट और साइबर क्राइम एक्ट जैसे कानूनों की जानकारी का महत्व समझाया ताकि महिलाएँ अपने अधिकारों की रक्षा स्वयं कर सकें।
उन्होंने ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि यह केवल एक शिक्षण संस्थान नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण की प्रयोगशाला है। यहाँ विद्यार्थियों को न केवल अकादमिक शिक्षा दी जाती है, बल्कि उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित भी किया जाता है।
कार्यक्रम में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती कुसुम कंडवाल ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि भारत की महिलाएँ अब केवल प्रेरणा का स्रोत नहीं, बल्कि परिवर्तन की पहचान बन चुकी हैं। वे अपने परिश्रम और नेतृत्व से पूरे देश का गौरव बढ़ा रही हैं।
श्रीमती कुसुम कंडवाल ने कहा कि उत्तराखंड की महिलाएँ कठिन परिस्थितियों में भी साहस और धैर्य का परिचय देती हैं। उन्होंने प्रसिद्ध पंक्ति का उल्लेख करते हुए कहा – “उत्तराखंड की नारी फूल नहीं, चिंगारी है।” उन्होंने महिला सशक्तिकरण के तीन स्तंभ – आत्मरक्षा, शिक्षा और जागरूकता – को अत्यंत आवश्यक बताया।
कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित विभिन्न सत्रों में छात्रों को साइबर अपराध, महिला सुरक्षा, और संवैधानिक अधिकारों से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गई। इन सत्रों ने छात्रों को न केवल कानूनी दृष्टि से सजग बनाया, बल्कि उन्हें समाज के प्रति अधिक संवेदनशील और जिम्मेदार भी किया।
सत्रों के दौरान छात्र-छात्राओं को व्यवहारिक रूप से यह सिखाया गया कि कठिन परिस्थितियों में स्वयं की सुरक्षा कैसे करें। विशेषज्ञों ने उदाहरणों के माध्यम से बताया कि जागरूकता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है। शिक्षित और सचेत युवा ही सुरक्षित समाज की नींव रख सकते हैं।
यह भव्य आयोजन विश्वविद्यालय के सिल्वर जुबली कन्वेंशन सेंटर में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में प्रो चांसलर डॉ. राकेश शर्मा, कुलपति डॉ. नरपिंदर सिंह, प्रो वीसी डॉ. संतोष एस. सर्राफ, कुलसचिव डॉ. नरेश कुमार शर्मा, डीन डॉ. डेजी अलेक्जेंडर और डॉ. अमर डबराल सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. भारती शर्मा ने किया।
