देहरादून- प्रदेश में सोशल मीडिया की आड़ लेकर हो रही है पीत पत्रकारिता, अब उनकी कुंडली हो गई तैयार

आज पीत पत्रकारिता के किस्से केवल दिल्ली और उत्तरप्रदेश में ही नहीं बल्कि उत्तराखंड में भी काफी बढ़ते जा रहे हैं। इन पत्रकारों का टारगेट सबसे पहले अफसर की निजता पर सवाल उठाते हुए नैतिकता के नाम पर सिर्फ अपने पत्र, पत्रिकाओं और पोर्टल की आड़ में जेबें भरना होता है। शासन के उन अफसर
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देहरादून- प्रदेश में सोशल मीडिया की आड़ लेकर हो रही है पीत पत्रकारिता, अब उनकी कुंडली हो गई तैयार

आज पीत पत्रकारिता के किस्से केवल दिल्ली और उत्तरप्रदेश में ही नहीं बल्कि उत्तराखंड में भी काफी बढ़ते जा रहे हैं। इन पत्रकारों का टारगेट सबसे पहले अफसर की निजता पर सवाल उठाते हुए नैतिकता के नाम पर सिर्फ अपने पत्र, पत्रिकाओं और पोर्टल की आड़ में जेबें भरना होता है। शासन के उन अफसर को निशाना बनाना होता है जो दिन रात आम जनता की आवश्यकताओं को समझकर लोक हितकारी पालिसी को तैयार करने में जुटे होते है। अब ऐसे पत्रकारो के फैक्ट चेक के फ़िल्टर होने की भी बात सामने आ रही है। जिससे अब दूध का ढूध पानी का पानी होता रहे । भारत सरकार ने इसीलिए सोशल मीडिया की कई खबरों और वेबसाइटों के फैक्ट चेक के लिए प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के अनुसार फैक्ट चेक के लिए अपनी नीति भी तैयार कर ली है जिसमें कई मन गनत कहानी की असलियत सामने आ चुकी हैं। अब उत्तराखंड में भी ऐसे ही “फैक्ट चेक” मैंथर्ड को अपनाकर काम करने की आवश्यकता महसूस होने लगी हैं। सूचना विभाग के बड़े अधिकारियों ने इस पर काम भी शुरू कर दिया हैं। क्योंकि ऐसे खबरों से जनता के मन मे सरकार और सरकारी अधिकारियों की छवि बिगाड़ने की कोशिश न की जा सके।

यह भी समय समय पर देखा जा रहा है कि सरकारी अफसर और नेताओं को कलम की ताकत से ऑफवाह फैलाने वाले न्यूज़ पोर्टल पर कार्यवाही लगातार जारी है। ऐसी शिकायतें लगातार आ रही हैं जिससे कई तताकथित पत्रकारों के चेहरों से अब नकाब हटते जा रहे हैं। सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि ऐसे ही कई न्यूज़ पोर्टल की हर माह शिकायतो की चिट्ठियां बढ़ती ही जा रही हैं। ऐसे पोर्टल को चिन्हित कर अब कार्यवाही किये जाने के लिए सूचना विभाग उनको चिन्हित कर कार्यवाही का मन बना चुका है।