देहरादून - श्रमवीरों के कल्याण के लिए मुख्यमंत्री ने जारी किए साढ़े ₹11 करोड़, तीन महीने में इतने लाख श्रमिक होंगे बोर्ड में रजिस्टर्ड

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देहरादून - श्रमवीरों के कल्याण के लिए मुख्यमंत्री ने जारी किए साढ़े ₹11 करोड़, तीन महीने में इतने लाख श्रमिक होंगे बोर्ड में रजिस्टर्ड

देहरादून - मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के सभी मनरेगा श्रमिकों को जल्द से जल्द भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत करने के सख्त निर्देश दिए हैं। मंगलवार को सचिवालय में हुई भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड (UKBCWB) की बैठक की अध्यक्षता करते हुए सीएम ने कहा कि अगले तीन महीने के भीतर कम से कम 5 से 6 लाख श्रमिकों का पंजीकरण हर हाल में पूरा किया जाए।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को चेतावनी दी कि इस कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही या देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि श्रम विभाग और बोर्ड के अधिकारी हर श्रमिक तक पहुंच बनाएं और उन्हें सरकार की योजनाओं की जानकारी दें ताकि कोई भी पात्र श्रमिक लाभ से वंचित न रह जाए। सीएम धामी ने कहा, “राज्य सरकार श्रमवीरों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए पूरी तरह संकल्पबद्ध है। श्रमिकों का परिश्रम ही राज्य की प्रगति की असली नींव है। उनके कल्याण में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी जाएगी।”

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने बोर्ड में पंजीकृत लगभग 10 हजार श्रमिकों और उनके आश्रितों को डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से 11 करोड़ 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि ट्रांसफर की। उन्होंने कहा कि यह केवल धनराशि हस्तांतरण नहीं, बल्कि परिश्रमी श्रमवीरों के प्रति सरकार का सम्मान और आभार प्रकट करने का अवसर है।

सीएम ने कहा कि बोर्ड की सभी योजनाओं को अब डिजिटल माध्यमों से जोड़ा जा रहा है, ताकि पात्र लाभार्थियों तक सहायता शीघ्र और पारदर्शी ढंग से पहुंचे। शिक्षा, स्वास्थ्य, विवाह सहायता और मृत्यु उपरांत सहायता जैसी योजनाओं का लाभ समय पर मिले, इसके लिए विभाग को विशेष निगरानी के निर्देश दिए गए हैं।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने राज्य के खनन विभाग के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि विभाग की नई नीति के कारण खनन राजस्व में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली के चलते अब राज्य में खनन क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अनियमितता की गुंजाइश नहीं है।

सीएम धामी ने बताया कि उत्तराखंड की खनन नीति और कार्यप्रणाली अब अन्य राज्यों के लिए मॉडल बन चुकी है। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों के अधिकारी उत्तराखंड की नीति का अध्ययन कर रहे हैं और इसे अपने राज्यों में लागू करने की दिशा में प्रयासरत हैं।

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