नैनीताल - हाईकोर्ट ने कहा शादी का झांसा देकर सहमति से संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं 
 

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नैनीताल - हाईकोर्ट ने चंपावत की एक महिला की ओर से अधिवक्ता पर शादी का वादा कर शारीरिक शोषण करने और विवाह न करने के मामले में दर्ज प्राथमिकी और संबंधित चार्जशीट को निरस्त करने के आदेश दिए हैं। महिला ने टनकपुर निवासी अधिवक्ता पर आरोप लगाया था कि उसने स्वयं को तलाकशुदा बताते हुए उससे शादी करने का वादा किया था। महिला ने आरोप लगाया कि सहमति से बने संबंधों के बाद वह गर्भवती हो गई लेकिन विवाह न होने के कारण उसने गर्भपात करा लिया। आरोप के अनुसार अधिवक्ता बाद में विवाह करने से मुकर गया, जिस पर महिला ने उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई।


न्यायमूर्ति शरद शर्मा के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि दोनों के संबंधों में कोई जोर जबरदस्ती या कोई भी ऐसा दबाव नहीं था, जिससे यह मामला धारा 376 में दर्ज हो सके। यह आपसी सहमति का मामला है न कि जबरन संबंध बनाने का। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2021 के निर्णय का हवाला भी दिया जिसमें ऐसे मामलों की विस्तृत व्याख्या करते हुए सहमति से बने और जबरन बनाए गए संबंधों का अंतर स्पष्ट करते हुए ऐसे संबंधों को दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं माना गया है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद हाईकोर्ट ने मामले में प्राथमिकी निरस्त करने के आदेश दिए।