देहरादून - विधायक बंशीधर भगत के दखल से कोषागार कर्मियों के वेतन वसूली सुलझने की जगी आस 
 

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देहरादून - कालाढूंगी से विधायक बंशीधर भगत की मध्यस्तथा से कोषागार सेवा के कर्मियों एवं पेंशनरों की वेतन वसूली का प्रकरण सुलझने की आस जगी है। प्रदेश के विभिन्न कोषागारों में बीते वर्ष गलत तरीके से धनराशि अंतरित करने का मामला सामने आया था जिसके बाद सरकार ने लेखाकारों के वेतन और रिटायर्ड कर्मचारियों के पेंसन से वसूली करने की बात कही थी।  कोषागार सेवा से सेवानिवृृत सुधीर पाण्डे ने बताया कि पेंशनरों की ओर से मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव एवं अपर मुख्य सचिव को इस प्रकरण में विधायक बंशीधर भगत के माध्यम से 17 जनवरी को उन्होने शासन द्वारा अपने ही पूर्व आदेश को निरस्त करने और कोषागार के कर्मचारियों/पेंशनरों से वसूली के आदेश को निरस्त करने के सम्बन्ध में पत्र भेजा था। कोषागार सेवा के पेंशनर द्वारा विधायक भगत को पत्र उपलब्ध कराते हुये अनुरोध किया था कि उनके वेतन एवं पेंशन से जो वसूली जनवरी माह से प्रस्तावित है उसको निरस्त किया जाये।


विधायक बंशीधर भगत ने जिसके बाद स्वंय कोशागार के पेंशनरों के साथ देहरादून में मुख्यमंत्री से वार्ता कर वस्तु स्थिति से अवगत कराया जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा अपर मुख्य सचिव आनन्द वर्धन से फोन पर वार्ता कर तत्काल कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया। तत्पश्चात विधायक बंशीधर भगत ने स्वंय पेंशनरों के साथ अपर मुख्य सचिव आनन्द वर्धन से वार्ता कर तुरंत कार्यवाही करने को कहा। विधायक के नेतृृत्व/मध्यस्थता में पी0सी0सैनी, राजीव गुप्ता, जमीर अहमद तथा राजेन्द्र पुण्डीर वार्ता हेतु उपस्थित थे। कोषागार कर्मियों/पेंशनरों ने मुख्यमंत्री धामी एवं विधायक भगत का आभार व्यक्त किया है।

 

यह था पूरा मामला - 
प्रदेश के विभिन्न कोषागारों में पिछले साल गलत तरीके से धनराशि अंतरित करने का मामला सामने आया था कोषागार निदेशालय में कार्यरत सहायक लेखाकारों द्वारा विभिन्न कोषागारों में गलत तरीके से धनराशि अंतरित करने का मामला सामने आने के बाद सरकार भी स्तब्ध रह गई थी सरकार की सख्ती के बाद इस प्रकरण पर तेजी से कार्रवाई की गई। इस वित्तीय पदोन्नति का त्रुटिपूर्ण निर्धारण करने से सरकार को 20 से 30 करोड़ का नुकसान हुआ था।  मामला संज्ञान में आने के बाद शासन कोषागार संवर्ग के सहायक लेखा कारों और लेखा कारों से वसूली के आदेश दिए थे जिसके बाद सेवारत कार्मिकों की वेतन और सेवा निर्मित कार्मिकों की पेंशन से वसूली होनी थी।