उत्तराखंड- गीतकार गिरीश तिवारी “गिरदा” का ये है जीवन परिचय, नैनीताल से हासिल की स्कूली शिक्षा

गिरीश तिवारी “गिरदा” एक पटकथा लेखक, निर्देशक, गीतकार, गायक, कवि, जैविक संस्कृतिकर्मी, साहित्यकार, और उत्तराखंड, भारत में सामाजिक कार्यकर्ता थे। उनका जन्म 10 सिंतबर 1945 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में हुआ। गांव के सरकारी इंटर कॉलेज के बाद उन्होंने नैनीताल से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की। 21 की आयु में, गिरदा लखीमपुर खीरी में
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उत्तराखंड- गीतकार गिरीश तिवारी “गिरदा” का ये है जीवन परिचय, नैनीताल से हासिल की स्कूली शिक्षा

गिरीश तिवारी “गिरदा” एक पटकथा लेखक, निर्देशक, गीतकार, गायक, कवि, जैविक संस्कृतिकर्मी, साहित्यकार, और उत्तराखंड, भारत में सामाजिक कार्यकर्ता थे। उनका जन्म 10 सिंतबर 1945 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में हुआ। गांव के सरकारी इंटर कॉलेज के बाद उन्होंने नैनीताल से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की। 21 की आयु में, गिरदा लखीमपुर खीरी में सामाजिक कार्यकर्ताओं से मिले और समाज में उनके काम से प्रभावित हुए।

नैनीताल PAHAR संगठन के संपादकीय बोर्ड के रहे संस्थापक

जिसके बाद गिरदा के अपने जीवन पथ को बदल दिया और वे एक रचनात्मक लेखक और एक सामाजिक कार्यकर्ता बना दिया। वह प्रसिद्ध चिपको आंदोलन और बाद में उत्तराखंड अंदोलन के साथ भी जुड़े। गिरदा ने “अंध युग”, “अंधेर नगरी”, “थैंक यू मिस्टर ग्लैड” और “भारत दुर्दशा” जैसे प्रसिद्ध नाटकों का निर्देशन किया है।

उत्तराखंड- गीतकार गिरीश तिवारी “गिरदा” का ये है जीवन परिचय, नैनीताल से हासिल की स्कूली शिक्षा

उनकी कविताओं और गीतों का नवीनतम संकलन “उत्तराखंड अंदोलन” और “उत्तराखंड काव्य” को 2002 में प्रकाशित किया गया था। वे हिमालयन संस्कृति के प्रचार से जुड़े नैनीताल स्थित संगठन PAHAR के संपादकीय बोर्ड के संस्थापक और सदस्य भी थे। 22 अगस्त 2010 को, एक बीमारी के चलते उनकी मृत्यु हो गई।