उत्तराखंड- सरकार द्वारा जारी एसओपी से नाखुश स्कूल संचालक, अब सीएम को पत्र लिख की ये मांग

प्रदेश में स्कूल खोलने को लेकर जारी एसओपी से प्राईवेट स्कूल नखुश नज़र आ रहे है। यही कारण है कि उन्होंने प्रदेश सराकर द्वारा जारी एसओपी में संसोधन की मांग की है। बता दें कि 2 नवंबर में स्कूल के लिए केन्द्र की ओर से एसओपी जारी की गई थी। जिसको राज्य शिक्षा विभाग ने
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उत्तराखंड- सरकार द्वारा जारी एसओपी से नाखुश स्कूल संचालक, अब सीएम को पत्र लिख की ये मांग

प्रदेश में स्कूल खोलने को लेकर जारी एसओपी से प्राईवेट स्कूल नखुश नज़र आ रहे है। यही कारण है कि उन्होंने प्रदेश सराकर द्वारा जारी एसओपी में संसोधन की मांग की है। बता दें कि 2 नवंबर में स्कूल के लिए केन्द्र की ओर से एसओपी जारी की गई थी। जिसको राज्य शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को जारी की है। सरकार द्वारा एसओपी जारी करने के बाद अब निजी स्कूल ने भी 50 फीसदी छात्र आने के बाद ही स्कूल खोलने का निर्णय लिया है।

साथ ही एसओपी में बदलाव की मांग है। निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि हरियाणा सरकार ने निजी स्कूलों को एसओपी जारी करने को कहा है, लेकिन उत्तराखंड में सरकार ने जो एसओपी जारी की है, उससे निजी स्कूल संचालक संतुष्ट नहीं हैं, ऐसे में कई बिंदुओं पर संशोधन किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन (पीपीएसए) ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव को इस संबंध में पत्र भी लिखा है। पीपीएसए के अध्यक्ष की माने तो अभी तक 10 फीसद अभिभावकों ने बच्चों को भेजने पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एसओपी जारी कर कहा है कि स्कूल आने पर बच्चों की जिम्मेदारी उन्हीं की होगी, जबकि बच्चे अधिकांश समय घर पर ही व्यतीत करते हैं।

अगर किसी का स्वास्थ्य पहले से खराब है और स्कूल आने के बाद सेहत ज्यादा बिगड़ जाती है तो ऐसी स्थिति में भी स्कूल संचालकों पर ही कार्रवाई होगी। इस तरह के निर्देश में संशोधन किया जाना जरूरी है। एसोसिएशन के अध्यक्ष ने ये भी कहा है कि किसी भी छात्र के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर स्कूल जिम्मेदार नहीं माने जाएं और जिन कक्षा के छात्र छात्राओं के लिए स्कूल खोले जाएंगे, उनकी ऑनलाइन क्लास नहीं होगी इन शर्तों को माने जाने के बाद ही स्कूल खुलने चाहिए।

निजी स्कूलों की शर्तें

-शिक्षकों को कोरोना वारियर्स घोषित किया जाए

-शिक्षक और कर्मचारियों का बीमा सरकार द्वारा किया जाए।

-अभिभावक अपने बच्चों की पूर्ण जिम्मेदारी लेंगे

-कोरोना वायरस का कोई भी लक्षण दिखने पर अभिभावक बच्चे का कोरोना टेस्ट कराने के बाद रिपोर्ट नेगेटिव आने पर बच्चे को स्कूल भेजेंगे।

-लिखित एप्लीकेशन मिलने पर ही फीस माफी।

-स्कूलों में प्राथमिक इलाज की रहेगी व्यवस्था।

-एक बार स्कूल में छात्र छात्रा की एंट्री हो जाने के बाद उसे बीच में ना तो घर जाने दिया जाएगा ना ही कोई इमरजेंसी होने तक अभिभावकों को बच्चों से मिलने दिया जाएगा।

-अभिभावकों को समय पर स्कूल की फीस अदा करनी होगी।

-संक्रमण से रोकथाम के लिए स्कूलों द्वारा बनाए गए हर नियम को छात्र-छात्रा मानेंगे।

-जिले के अस्पतालों को छात्र-छात्राओं की बीमारी से मामले प्राथमिकता के साथ लेने होंगे।