उत्तराखंड- जानिये क्या है राज्य में लागू हुआ अंब्रेला एक्ट, अब विश्वविद्यालयों में होगा ये परिवर्तन

उत्तराखंड में अब विश्वविद्यालयों के लिए एक अंब्रेला एक्ट पारित किया गया है। इस एक्ट के तहत राज्य के सभी पोषित विश्वविद्यालयों में अब एक समान स्वायत्त एवं उत्तरदायी प्रशासन की स्थापना होगी। एक्ट के दौरान विश्वविद्यायल के कुलपति की नियुक्ति में भी बदलाव किया गया है। अब कुलपति तीन वर्ष की अवधि या 70
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उत्तराखंड- जानिये क्या है राज्य में लागू हुआ अंब्रेला एक्ट, अब विश्वविद्यालयों में होगा ये परिवर्तन

उत्तराखंड में अब विश्वविद्यालयों के लिए एक अंब्रेला एक्ट पारित किया गया है। इस एक्ट के तहत राज्य के सभी पोषित विश्वविद्यालयों में अब एक समान स्वायत्त एवं उत्तरदायी प्रशासन की स्थापना होगी। एक्ट के दौरान विश्वविद्यायल के कुलपति की नियुक्ति में भी बदलाव किया गया है। अब कुलपति तीन वर्ष की अवधि या 70 वर्ष की आयु तक पद पर नियुक्ति पा सकेंगे। नए नियमों के तहत कुलपति को अधिकतम एक वर्ष का सेवा विस्तार दिया जा सकेगा।

आपको बता दें कि पहले कुलपति चयन समिति में केवल तीन ही सदस्यों का प्रावधान था, लेकिन अब अंब्रेला एक्ट को पारित किये जाने से कुलपति की चयन समिति में पांच सदस्यों की व्यवस्था की गई है। कुलसचिव की नियुक्ति एवं सेवा शर्तों में भी एक्ट के तहत कुछ बदलाव किया गया है, यूजीसी मानकों के तहत अब 50 फीसदी पद विभागीय पदोन्नति से जबकि 50 फीसदी सीधी भर्ती से भरे जाएंगे। अन्य सेवा शर्तें राज्य सरकार के अनुसार होंगी। अंब्रेला एक्ट के पास होने पर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि वर्ष 1973 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है।

जब विश्वविद्यालयों के लिए अलग से एक एकीकृत एक्ट लाया गया है। उन्होने  विधानसभा से अंब्रेला एक्ट पास होने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व प्रदेश कैबिनेट के सहयोगियों सहित विधानसभा सदस्यों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सभी राज्य विश्वविद्यालय अपने अलग-अलग अधिनियमों से संचालित हो रहे हैं। जिसके चलते विश्वविद्यालयों के संचालन में प्रशासनिक एवं शैक्षणिक व्यवस्थाओं में एकरूपता नहीं आ रही थी। इस कारण राज्य में अंब्रेला एक्ट पारित किया गया है।

70 साल से अधिक उम्र का व्यक्ति नहीं बनेगा कुलपति

अंब्रेला एक्ट के तहत विधानसभा में हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय संशोधित अधिनियम 2020 को मंजूरी दी गई। इसमें कहा गया है कि 70 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति को कुलपति के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा।