उत्तराखंड के इस जिले में नशे के कारोबार ने तोड़ा रिकार्र्ड, अभी तक डेढ़ करोड़ का नशीला पदार्थ बरामद

नशे का कारोबार- उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में नशे का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है। सूबे के दूसरे हिस्सों मे भी नशाखोरी को रोकने के लिए पुलिस हर कोशिश नाकाम हो रही हैं। पहाड़ से तराई तक चरस और गांजा की तस्करी की जा रही है ये नशीले पदार्थ बहेड़ी, बरेली, पीलीभीत, मुरादाबाद, बिलासपुर
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उत्तराखंड के इस जिले में नशे के कारोबार ने तोड़ा रिकार्र्ड, अभी तक डेढ़ करोड़ का नशीला पदार्थ बरामद

नशे का कारोबार- उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में नशे का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है। सूबे के दूसरे हिस्सों मे भी नशाखोरी को रोकने के लिए पुलिस हर कोशिश नाकाम हो रही हैं। पहाड़ से तराई तक चरस और गांजा की तस्करी की जा रही है ये नशीले पदार्थ बहेड़ी, बरेली, पीलीभीत, मुरादाबाद, बिलासपुर से तस्करी कर तराई से पहाड़ तक पहुंच रही है। हालांकि देहरादून पुलिस ने पिछले एक सप्ताह से डेढ़ करोड़ से अधिक के नशीले पदार्थ पकड़े गए हैं, जिनमें स्मैक भी दो बड़ी-बड़ी खेप शामिल हैं। लेकिन ऊधमसिंह नगर में पुलिस ने जो भी मुहिम चलाई वो फिलहाल पूरी तरह बेअसर नजर आ रही हैं। पुलिस के तमाम दावों के बावजूद नशे का कारोबार खूब फलफूल रहा है। आलम ये है कि युवा पीढ़ी पूरी तरह से नशे की गिरफ्त में जा रही है।

उत्तराखंड के इस जिले में नशे के कारोबार ने तोड़ा रिकार्र्ड, अभी तक डेढ़ करोड़ का नशीला पदार्थ बरामद

नशे के कारण युवा हो रहे बर्बाद

जिस उम्र में बच्चों को खेलना कूदना चाहिए, उस उम्र में बच्चे नशे के आदी हो चुके हैं। यहां नशे का आदी हर युवा कहीं नजर आ जाते हैं। यहां तक कि खेल के मैदानों में भी नशे के निशान आसानी से मिल जाएंगे। खेल के मैदानों और स्कूल, कॉलेजों के आसपास ही नशे का कारोबार सबसे अधिक फलफूल रहा है। नशे के लिए युवा अपना जीवन दांव पर लगा रहे हैं। हालांकि ऊधमसिंह नगर पुलिस कोकीन, डोडा, अफीम, नशीली गोलियां, कैप्सूल, इंजेक्शन गांजा, हेरोइन, भांग की तस्करी होने का खुलासा कर तस्करों को पकड़ चुकी है।

उत्तराखंड के इस जिले में नशे के कारोबार ने तोड़ा रिकार्र्ड, अभी तक डेढ़ करोड़ का नशीला पदार्थ बरामद

नबालिग बच्चे बन रहे निशाना

प्रदेश सरकार भले ही नशे पर रोक लगाने का प्रयास कर रही है, लेकिन नशे के सौदागर अब नाबालिग बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं। ऊधमसिंह नगर में नशे का काला करोबार जोरों पर है। आलम ये है कि जिले में बिना रोक टोक के आसानी से नशे का सामान लोगों को मुहैया कराया जा रहा है। जिसके चलते युवाओं के साथ-साथ नाबालिग भी आसानी से नशे का सामाना खरीद कर अपनी जिंदगी से खिलवाड़ करने में तुले हुए हैं। चरस के लती लोगों की संख्या को देखते हुए तस्करों ने नेपाल से भी चरस लानी शुरू कर दी है।

उत्तराखंड के इस जिले में नशे के कारोबार ने तोड़ा रिकार्र्ड, अभी तक डेढ़ करोड़ का नशीला पदार्थ बरामद

मौत की ओर ले रहा नशाा

नशाखोरी पर रोक लगाने के लिए कई बार स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग भी की है। पुलिस ने दावे भी किए। प्रशासन ने भी पुलिस से कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा। पुलिस ने मुहिम भी चलाई, लेकिन नतीजा कुछ खास नहीं निकला। नशे के सौदागर आज भी बेखौफ होकर खुलेआम नशे का कारोबार कर युवाओं की नशों में जहरीला नशा घोलने का काम कर रहे हैं। ऐसा नशा, जो इन युवाओं को सीधे न केवल बर्बादी की ओर ले जा रहा, बल्कि धीरे-धीरे मौत की राह पर भी धकेल रहा । अगर समय रहते अभिभावक और पुलिस ने काम नहीं किया, तो नशा हर युवा को अपनी आगोश में लेकर बर्बादी की राह पर लाकर खड़ा कर देगा।

नशे के खिलाफ कब्र खोदने की जरूरत

नशा एक सामाजिक बुराई है, जिसे केवल कानून और दंड के बल पर दूर नहीं किया जा सकता। जिंदगी तबाह करने वाली इस बुराई से मुक्ति के लिए सामाजिक चेतना, जागृति और सभ वर्गों को एकजुट होकर मजबूती के साथ प्रयास करने की जरूरत हैं। जब तक सारा समाज एकता के सूत्र में बंधकर नशे के खिलाफ कब्र खोदने के लिए कमर नहीं कसेगा। तब क इससे समग्र मुक्ति केवल सपना ही रहेगा।