उत्तर प्रदेश : तो क्या अखिलेश व शिवपाल को साथ लाने का मिल गया मुलायम सिंह यादव को फार्मूला ?

लखनऊ : हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की प्रचंड लहर में सपा-बसपा गठबंधन को मिली करारी हार के बाद से ही मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और पार्टी से अलग हो चुके शिवपाल सिंह यादव को फिर से एक साथ लाने की कवायद में जुटे हैं। लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन का प्रयोग असफल होने से मिली करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव का सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और सपा छोडक़र अपनी अलग पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन कर चुके शिवपाल सिंह यादव को करीब लाने का पहला प्रयास विफल हो चुका है। अब मुलायम ने आगामी विधानसभा उपचुनाव में शिवपाल और अखिलेश को गठबंधन कर लडऩे का विकल्प सुझाया है।

अखिलेश व शिवपाल क्या फिर साथ आएंगे ?
उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक लगातार तीसरे चुनाव में समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। नरेंद्र मोदी की लहर में सपा का सियासी किला पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। जबकि इस बार के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव मायावती के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरे थे फिर भी पार्टी को जीत नहीं दिला सके। वहीं, अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव सपा से बगावत कर अलग पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन वो अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। सपा की करारी हार पर पिछले तीन दिनों से लगातार मंथन हो रहा है। ऐसे में सवाल है कि अखिलेश और शिवपाल सब कुछ लुटाकर क्या फिर साथ आएंगे?

कुछ इस तरह चल रहा मंथन
सपा सूत्रों के मुताबिक सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अपने पैतृक गांव सैफई में अखिलेश यादव और शिवपाल की मुलाकात कराई थी। मुलाकात के दौरान मुलायम ने शिवपाल के सामने प्रस्ताव रखा था कि वह अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का समाजवादी पार्टी में विलय कर दे लेकिन शिवपाल ने इससे साफ इनकार कर दिया। शिवपाल का कहना था कि वह इस संबंध में अकेले फैसला नहीं कर सकते। उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बड़ी मेहनत कर के पार्टी को खड़ा किया है।
सपा-प्रसपा 6-6 सीटों पर लड़ेंगे उपचुनाव !
इसके बाद मुलायम परिवार ने एक और फार्मूला निकाला है। इस फार्मूले के मुताबिक प्रदेश में होने वाले 12 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में सपा और प्रसपा गठबंधन कर चुनाव लड़े। बताया जा रहा है कि इस फार्मूले के तहत दोनों ही पार्टिया छह-छह सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। हालांकि शिवपाल और अखिलेश दोनों ने ही अभी इस फार्मूले पर सहमति नहीं दी है। सूत्रों ने बताया कि लेकिन शिवपाल को उत्तर प्रदेश में होने वाले 12 उपचुनावों में सपा के साथ मिल कर चुनाव लड़ने से गुरेज नहीं हैं।
शिवपाल-अखिलेश को साथ लाना चाह रहे मुलायम
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में बसपा से गठबंधन करके लड़ी सपा को जहां सीटों के लिहाज से कोई लाभ नहीं हुआ तो वही उसका वोट प्रतिशत भी कम हो गया। मुलायम सिंह यादव का मानना है कि शिवपाल के अलग होने से यादव वोटों में बिखराव के कारण ऐसा हुआ है। लिहाजा वह फिर से अखिलेश और शिवपाल को एक साथ लाने का प्रयास कर रहे है। जिससे कि यादव वोटों के बिखराव को रोका जा सकें। बताया जा रहा है कि मुलायम ने अखिलेश और शिवपाल दोनों को समझाया है कि अगर परिवार में एका नहीं हुआ तो इसके राजनीतिक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।