नई दिल्ली- यूनियन कैबिनेट ने ‘गगनयान स्पेसफ्लाइट’ को दी मंजूरी, अब अंतरिक्ष में लहरायेगा तिरंगा

नई दिल्ली- न्यूज टुडे नेटवर्क: भारत में बना इंसानी स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम आज यूनियन कैबिनेट ने मंजूर कर दिया है। ‘गगनयान स्पेसफ्लाइट’ में अब 7 दिनों के लिए 3 लोगों का क्रू अंतरिक्ष में जा सकेगा। इसके लिए कीमत 10,000 करोड़ रखी गई है। बता दें भारत के 72वें स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2018 को प्रधानमंत्री
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नई दिल्ली- यूनियन कैबिनेट ने ‘गगनयान स्पेसफ्लाइट’ को दी मंजूरी, अब अंतरिक्ष में लहरायेगा तिरंगा

नई दिल्ली- न्यूज टुडे नेटवर्क: भारत में बना इंसानी स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम आज यूनियन कैबिनेट ने मंजूर कर दिया है। ‘गगनयान स्पेसफ्लाइट’ में अब 7 दिनों के लिए 3 लोगों का क्रू अंतरिक्ष में जा सकेगा। इसके लिए कीमत 10,000 करोड़ रखी गई है। बता दें भारत के 72वें स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2018 को प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि 2022 तक कोई भी एक भारतीय एस्ट्रोनॉट, चाहे वो महिला हो या पुरुष, गगनयान से आसमान की सैर पर जा सकेंगे। इससे पहले भारत अक्टूबर 2008 में चंद्रयान-1 और सितंबर 2014 में मंगलयान को सफलता से लॉन्च कर चुका है। इसके अलावा यह मिशन 15000 नई नौकरियां भी पैदा करेगा।

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30 बेहतरीन लोगों का होगा चयन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने साल 2022 में मानवयुक्त अंतरिक्षयान भेजने की तैयारियों को तेज कर दिया है। इसके लिए देश की सवा अरब आबादी में से 30 बेहतरीन लोगों को चुनने की तैयारी की जा रही है। एस्ट्रोनॉट बनने के दावेदार ये 30 लोग अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ होंगे। इन्हीं में से कई चरण वाली लंबी चयन प्रक्रिया के बाद ‘गगनयान’ से अंतरिक्ष में जाने वाला 3 लोगों की फाइनल टाइम तय होगी। इन 30 एस्ट्रोनॉट के चयन की जिम्मेदारी इसरो ने भारतीय वायुसेना के इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (आईएएम) को सौंपी है।

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आईएएम ने ही साल 1984 में रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) के यान से अंतरिक्ष में जाने वाले इकलौते भारतीय यात्री राकेश शर्मा का चयन 10 लोगों को परखने के बाद किया था। आईएएम पहले ही इस मिशन में फ्लाइट सर्जन सपोर्ट, केबिन एयर क्वालिटी चेक, क्रू कैप्सूल की मानव इंजीनियरिंग व हेबीटेट मॉड्यूल की एडवांस ट्रेनिंग के लिए इसरो की मदद कर रहा है। इस मिशन पर देश में बेस्ट फिजिकल फिटनेस के साथ सही मेंटल कंट्रोल के तालमेल वाले तीन एस्ट्रोनॉट का अंतिम तौर पर चयन होगा। लंबी चयन प्रक्रिया में देखा जाएगा कि वे मानसिक व मेडिकल तौर पर फिट हैं या नहीं और अकेले में मानसिक बदलावों से कैसे निपटते हैं।

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ऐसे होगा सिलेक्शन व ट्रेनिंग

इस मिशन के लिए देश भर से कुल 30 लोग चुने जाएंगे। इसमें वायु सैनिकों को प्राथमिकता दी जाएगी। प्राइमरी सिलेक्शन के बाद इन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी। फिर 15 का फाइनल सिलेक्शन होगा। इसके बाद इन्हें 3-3 के ग्रुप में बांटकर एडवांस ट्रेनिंग दी जाएगी। फिर 3 एस्ट्रॉनॉट के फाइनल ग्रुप को लॉन्चिंग डेट से तीन महीने पहले स्पेशल ट्रेनिंग मिलेगी। इस पूरे प्रॉसेस में 12 से 14 महीने लग जाएंगे। अंतरिक्ष जैसे माहौल में -20 से 60 डिग्री तापमान तक से तालमेल बनाने के लिए सिमुलेटर ट्रेनिंग होगी। वायुमंडलीय दबाव से करीब 6 गुना ज्यादा दबाव सहन करने के लिए ड्राई फ्लोटेशन सिमुलेटर ट्रेनिंग दी जाएगी। अंतरिक्ष यान क्रू कैप्सूल में माइग्रोग्रेविटी और सिर के बल घूम जाने जैसी परिस्थिति के लिए सिमुलेटर ट्रेनिंग होगी। बेहद गर्म तापमान को सहन करने के लिए भी एडवांस ट्रेनिंग दी जाएगी।

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भारत के लिए ये बड़ा मौका

इस बड़े कदम की बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि यह महत्वाकांक्षी योजना भारत की आजादी के 75वें साल 2022 में पूरी हो जाएगी। यह भी हो सकता है कि इससे पहले ही वो इसे पूरा करने में कामयाबी हासिल कर सके। प्रधानमंत्री ने कहा था कि ‘भारत का कोई बेटा या बेटी’ इस यात्रा में भारत का झंडा लेकर जाएगा। भारत के लिए यह एक बहुत बड़ा मौका होगा।’

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