कविता-ओ तिरंगे मेरे तुम सलामत रहो

उत्तराखंड के लोकप्रिय वेब पोर्टल न्यूज टुडे नेटवर्क की ओर से स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आॅनलाइन कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बाल, युवा और वरिष्ठ सभी वर्गों के लोग प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रतियोगिता में मेरे प्यारे वतन विषय पर देशभक्ति से ओत.प्रोत स्वरचित कविता लिखकर 20 अगस्त तक भेजनी
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कविता-ओ तिरंगे मेरे तुम सलामत रहो

उत्तराखंड के लोकप्रिय वेब पोर्टल न्यूज टुडे नेटवर्क की ओर से स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आॅनलाइन कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बाल, युवा और वरिष्ठ सभी वर्गों के लोग प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रतियोगिता में मेरे प्यारे वतन विषय पर देशभक्ति से ओत.प्रोत स्वरचित कविता लिखकर 20 अगस्त तक भेजनी है। इसके तहत राजकीय प्राथमिक विद्यालय देवलचौड़ हल्द्वानी से डॉ. आभा सिंह भैसोड़ा की शानदार कविता पढ़िए-

ओ तिरंगे मेरे तुम सलामत रहो
हो गई गर खतामुझसे बेशक कहो!
जान से भी हो प्यारे, मेरी शान हो
तुम ही संसार में, मेरी पहचान हो ।
बाल भी बांका हो ना सकेगा तेरा
हूं मैं जब तक मेरा तुझसे वादा रहा।
तू सलामत है जब तक वजूद है मेरा
तू तो धरती औ अम्बर में भी लहरा
देश रण बांकुरों ने , फर्ज अपना किया
प्राणों की आहुति से , दर्ज स्नेह किया
लाखों घर के चिराग वीर गति को गए
ओ तिरंगे ! तेरा ही श्रृंगार ले गए
कर न्योछावर येजान वीर सार पा गए
रख तिरंगे का मान , तर भवसागर गए
पर तिरंगे ना तुझको कोई आंच है
ये मेरे दिल की बात , सौ आने सांच है।
ओ तिरंगे येजीवनकी हकीकत कहो!
तुम सलामत , सलामत , सलामत रहो