Kumaon ke Prasiddh Mandir-उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के प्रमुख मंदिर व धार्मिक स्थल (Most famous Temples in Uttarakhand)
Updated: Apr 2, 2022, 18:55 IST
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Most Popular Temple In Uttarakhand - उत्तराखंड के नाम का जिक्र आते ही इसकी वादियों की खूबसूरती आंखों के सामने आ जाती है। उत्तराखंड Uttrakhand की प्राकृतिक सुंदरता से तो हर कोई वाकिफ है, यहां की वादियों की सुंदरता हर किसी के मन को मोह लेती है। उत्तराखंड, उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है। उत्तराखंड को देवभूमि Devbhumi Uttrakhand के नाम से भी संबोधित किया जाता है क्योंकि यहां पर हिंदू धर्म के सभी देवी देवताओं के धर्मस्थल हैं। इन्हीं कारणों से इसे पवित्र धर्म स्थलों में से एक माना जाता है। आज हम आपको इस पोस्ट में उत्तराखंड कुमाऊं मंडल के 10 प्रसिद्ध मंदिरों (Top 10 Popular Temples in Uttarakhand) के बारे में बताने वाले हैं, यदि आप जानना चाहते हैं।

Top 10 Popular Temples in Uttarakhand के बारे में तो इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े...
नंदा देवी मंदिर Nanda Devi Mandir
उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में स्थित नंदा देवी मंदिर हिंदू धर्म का एक पवित्र मंदिर है, आस्था व धार्मिक स्थल के रूप में नंदा देवी मंदिर का विशेष महत्व है। यहां पर माता दुर्गा के एक रूप की पूजा अर्चना होती है यहां माता के स्वरूप को बुराई के विनाशक के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर का इतिहास 1000 वर्ष से भी अधिक पुराना है, नंदा देवी दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की मान्यता है कि माता के दर्शन करने से व्यक्ति के अंदर बुराई का नाश होता है तथा आत्मा शुद्ध होती है।
हाटकालिका मंदिर गंगोलीहाट, पिथौरागढ़ उत्तराखंड (Haat Kalika Mandir Gangolihat, Uttrakhand)
हाटकालिका मंदिर उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट शहर में स्थित हैं। गंगोलीहाट पिथौरागढ़ जिले की तहसील और उपमंडल मुख्यालय है। गंगोलीहाट देवी काली की हाट कालिका के शक्ति पीठों के लिए जाना जाता है। हाटकालिका का यह मंदिर माँ महाकाली माता को समर्पित भव्य आस्था और विश्वास का मंदिर है, हाटकालिका मंदिर घने देवदार के जंगलों के बीच में स्थित है। माँ हाटकालिका मंदिर का इतिहास इस प्रकार माना जाता है कि महाकाली माता ने पश्चिम बंगाल से इस जगह को अपने घर से स्थानांतरित कर दिया था और तब से इस क्षेत्र में लोकप्रिय देवी के रूप में पूजी जाती है।
कसार देवी
उत्तराखंड में मौजूद एक छोटा-सा शहर अल्मोड़ा में स्थित है। अल्मोड़ा से 10 किमी दूर अल्मोड़ा-बिंसर मार्ग पर स्थित कसारदेवी के आसपास पाषाण युग के अवशेष मिलते हैं। अनूठी मानसिक शांति मिलने के कारण यहां देश विदेश से कई पर्यटक आते हैं।मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता है कि यहां पर देवी मां साक्षात अवतरित हुई थी। कहा यह भी जाता है कि भारत में यह एकलौती ऐसी जगह है जहां चुंबकीय शक्ति पाई जाती है। दरअसल मंदिर के आसपास की जगह ऐसी है जहां धरती के अंदर विशाल भू-चुंबकीय पिंड पाए जाते हैं। जानकारों के मुताबिक कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं।
पूर्णागिरि मंदिर Purnagiri Temple
भारत के उत्तराखंड राज्य के चम्पावत जनपद में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। देवी भागवत , स्कन्द पुराण इत्यादि धार्मिक ग्रन्थों में इस स्थल का विशिष्ट उल्लेख मिलता है । इस स्थल की गणना भारत में स्थित देवी की 108 सिद्धिपीठों में की जाती है । हरे भरे जंगलों से घिरा यह तीर्थ एक ऊँची चट्टान पर बना है । जहाँ से चारों ओर स्थित वनाच्छादित पर्वतों एवं लहराती हुई शारदा नदी का दृश्य मनमोह लेता है । यहाँ प्रति वर्ष नवरात्रियों में मेला लगता है । इस पवित्र तीर्थ का महत्व यहाँ आने वाले लाखों दर्शनार्थियों से लगाया जा सकता है जो प्रतिवर्ष यहाँ दर्शन के लिए आते हैं । इस तीर्थ में सर्वाधिक दर्शनार्थी मेले के समय ही आते हैं जो कि लाखों की संख्या में होते हैं ।
दूनागिरि Dunagiri
उत्तराखंड के कुमाऊं में “दूनागिरि” दूसरी वैष्णो शक्तिपीठ है | उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट क्षेत्र से 15 km आगे माँ दूनागिरी माता का मंदिर अपार आस्था और श्रधा का केंद्र है |कहा जाता है कि त्रेतायुग में जब लक्ष्मण को मेघनात के द्वारा शक्ति लगी थी | तब सुशेन वेद्य ने हनुमान जी से द्रोणाचल नाम के पर्वत से संजीवनी बूटी लाने को कहा था | हनुमान जी उस स्थान से पूरा पर्वत उठा रहे थे तो वहा पर पर्वत का एक छोटा सा टुकड़ा गिरा और फिर उसके बाद इस स्थान में दूनागिरी का मंदिर बन गया
चैती देवी, मोटेशवर महादेव मंदिर
यह मंदिर काशीपुर बस स्टैंड से 2.5 किमी दूर स्थित है और काशीपुर-बाजपुर मार्ग पर स्थित है। नवरात्रों के दौरान बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। त्योहार के दौरान भक्तों की भीड़ इस मंदिर पर आती हैं।चैती देवी मंदिर धार्मिक महत्व के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व भी रखता है। भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण से पता चला है कि यह स्थल का उल्लेख महाभारत में किया गया है। पुरातत्वविदों का मानना है काशिपुर ताम्र युग के दौरान उत्तर भारत का एक विकसित शहर था। यहां के पूर्व निवासी औधोगिक गतिविधियों में संलिप्त थे, और तांबे की बनी वस्तुओं का इस्तेमाल करते थे।
गर्जिया देवी Garjiya Devi
गर्जिया देवी मन्दिर उत्तराखण्ड में स्थित एक प्रसिद्ध मन्दिर है। यह मन्दिर सुन्दर खाल गाँव में आता है। रामनगर से इस मन्दिर की दूरी लगभग १५ किमी है। यह मन्दिर एक छोटी-सी पहाड़ी के शीर्ष पर बना हुआ है। कोसी नदी मन्दिर के निकट से होकर बहती है।
नैना देवी मंदिर Naina Devi mandir
उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित नैना देवी का मंदिर माता के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है। यहां पर माता सती के नेत्र गिरे थे इसलिए इस मंदिर को नैना देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां पर एक नैनी झील भी है जिसका नाम नैना देवी के नाम से पड़ा है, इस मंदिर का धार्मिक आस्था के रूप में विशेष महत्व है इस मंदिर में दूर-दूर से लोग दर्शन पूजा के लिए आते हैं।
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