अदभुत है भगवान विष्णु की तपोस्थली-बद्रीनाथ धाम, नर-नारायण पर्वत की वजह से नहीं हो पाएंगे दर्शन

देहरादून -न्यूज टुडे नेअवर्क : चार पवित्र धामों में एक बद्रीनाथ धाम, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यह अलखनंदा नदी के किनारे तथा नर-नारायण नामक दो पर्वतों के बीच स्थित है। बद्रीनाथ बद्री-नारायण (अर्थात विष्णु)से सम्बंधित एक पवित्र धार्मिक स्थल है। बद्रीनाथ के कपाट छह महीने खुलते हैं तथा छह महीने बर्फबारी की
 | 
अदभुत है भगवान विष्णु की तपोस्थली-बद्रीनाथ धाम, नर-नारायण पर्वत की वजह से नहीं हो पाएंगे दर्शन

देहरादून -न्यूज टुडे नेअवर्क : चार पवित्र धामों में एक बद्रीनाथ धाम, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यह अलखनंदा नदी के किनारे तथा नर-नारायण नामक दो पर्वतों के बीच स्थित है। बद्रीनाथ बद्री-नारायण (अर्थात विष्णु)से सम्बंधित एक पवित्र धार्मिक स्थल है। बद्रीनाथ के कपाट छह महीने खुलते हैं तथा छह महीने बर्फबारी की वजह से बंद रहते हैं। प्राचीन शैली में निर्मित इस मंदिर की ऊंचाई 15 मीटर है। इन चार धामों की अलग अलग रहस्यमय कथाएं प्राप्त होती है बात करते हैं आज चार धामों में बद्रीनाथ धाम की जो बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित जोशीमठ धाम के नर-नारायण पर्वत के बीच बसा हुआ है।

अदभुत है भगवान विष्णु की तपोस्थली-बद्रीनाथ धाम, नर-नारायण पर्वत की वजह से नहीं हो पाएंगे दर्शन

नर-नाराण पर्वत का विशेष महत्व

यह स्थान सदैव बर्फ की परतों से ढका रहता है पहाड़ों के बीच स्थित भगवान बद्रीनाथ धाम का मंदिर सदैव अपने भक्तों के लिए विशेष फल दायी रहा है आज भी यहाँ आस्था के साथ हर माह लाखों सहलानी भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने आते है और दर्शन कर अपनी झोली को भरकर अपने घर को लौटते हैं मान्यताओं के अनुसार धर्म ग्रंथों में प्राप्त होता है कि द्वापर में यहां भगवान का विग्रह प्रकट हुआ और इसी रूप में भगवान यहां निवास करते हैं। कहते हैं कि कलियुग के अंत में नर-नारायण पर्वत एक हो जाएंगे। इससे बद्रीनाथ का मार्ग बंद हो जाएगा, लोग यहां भगवान के दर्शन नहीं कर पाएंगे।

अदभुत है भगवान विष्णु की तपोस्थली-बद्रीनाथ धाम, नर-नारायण पर्वत की वजह से नहीं हो पाएंगे दर्शन

भगवान बद्रीनाथ का महत्व

मान्यताओं के अनुसार कहते हैं कि जो बद्रीनाथ का दर्शन करता है उनका पुनर्जन्म नहीं होता है। यह भगवान विष्णु का दूसरा वैकुण्ठ यानी निवास स्थान है। इस धाम के विषय में पुराणों में उल्लेख मिलता है कि सतयुग में यहां भगवान विष्णु का साक्षात दर्शन हुआ करता था। शास्त्रों में वर्तमान बद्रीनाथ यानी बद्री विशाल धाम को भगवान का दूसरा निवास स्थान बताया गया है। इससे पहले भगवान आदि बद्री धाम में निवास करते थे। और भविष्य में जहां भगवान का धाम होगा उसे भविष्य बद्री कहा गया है।

कैसे पहुचें ?

ऋषिकेश 297 किमी.विभिन्न स्थानों से मंदिर की दूरी –

देहरादून 314 किमी.

कोटद्वार 327 किमी.

दिल्ली 395 किमी.

रेल परिवहन : बद्रीनाथ के सबसे निकट ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है( 297 किमी.)। ऋषिकेश भारत के प्रमुख शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली और लखनऊ आदि से सीधे तौर पर रेलवे से जुड़ा है।

वायु मार्ग : बद्रीनाथ के लिए सबसे नजदीक स्थित जोली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून है, जहाँ से मंदिर मात्र 314 किमी. की दूरी पर स्थित है।

सडक़ परिवहन : उत्तरांचल स्टेट ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन दिल्ली-ऋषिकेश के लिए नियमित तौर पर बस सेवा उपलब्ध कराता है। इसके अलावा प्राइवेट ट्रांसपोर्ट भी बद्रीनाथ सहित अन्य समीपस्थ हिल स्टेशनों के लिए बस सेवा मुहैया कराता है।

WhatsApp Group Join Now
News Hub