देश भर में आज किसानों का चक्‍काजाम का ऐलान, दिल्‍ली, यूपी और उत्‍तराखण्‍ड में नहीं होगा यह आंदोलन

न्यूज टुडे नेटवर्क। आज देश भर में किसान चक्का जाम कर रहे हैं। दिल्ली बार्डर पर किसान आंदोलन भी जारी है। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे 40 संगठनों ने आज शनिवार को देश भर के स्टेट और नेशनल हाईवे को जाम करने का ऐलान किया है। प्रदर्शन दोपहर 12:00 बजे से शुरू होकर शाम
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देश भर में आज किसानों का चक्‍काजाम का ऐलान, दिल्‍ली, यूपी और उत्‍तराखण्‍ड में नहीं होगा यह आंदोलन

न्‍यूज टुडे नेटवर्क। आज देश भर में किसान चक्का जाम कर रहे हैं। दिल्‍ली बार्डर पर किसान आंदोलन भी जारी है। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे 40 संगठनों ने आज शनिवार को देश भर के स्टेट और नेशनल हाईवे को जाम करने का ऐलान किया है। प्रदर्शन दोपहर 12:00 बजे से शुरू होकर शाम 3:00 बजे तक चलेगा ,हालांकि दिल्ली एनसीआर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को इस चक्का जाम के आवाहन से अलग रखा गया है।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली में तो हर दिन जाम जैसे हालात रहते हैं, इसलिए यहां चक्का जाम की क्या जरूरत। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को लेकर टिकैत ने कहा कि यहां कुछ उपद्रवी असामाजिक तत्व हिंसा और गड़बड़ी फैला सकते हैं ,इसलिए इस आवाहन से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को अलग रखा गया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में किसानों को अलर्ट रहने को कहा गया है। किसी भी वक्त उन्हें बुलाया जा सकता है। चक्का जाम से निबटने के लिए दिल्ली में पैरामिलिट्री और रिजर्व पुलिस फोर्स के 50 हजार जवानों को तैनात किया गया है।

सीआरपीएफ की सभी यूनिट को अपने वाहनों पर लोहे की जाली लगाने के निर्देश दिए गए हैं ताकि पथराव की स्थिति में बचा जा सके। गौरतलब है कि 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा से प्रशासन अब अधिक अलर्ट है। दिल्ली के मेट्रो स्टेशनों को भी अलर्ट जारी किया गया है। राष्‍ट्रीय राजधानी के कुल 285 मेट्रो स्टेशनों को एलर्ट जारी किया गया है। 12 मेट्रो स्टेशन को हाईएलर्ट पर रखा गया है। इन मेट्रो स्‍टेशनों के प्रवेश द्वार पर सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है। मेट्रो रेल कारपोरेशन ने बताया कि यदि कुछ गड़बड़ी हुई तो दिल्ली के कुछ मेट्रो स्टेशनों को तत्काल बंद भी किया जा सकता है।

एक फरवरी को पेश हुए बजट में किसानों की मांगों की अनदेखी और सीमा पर हो रहे आंदोलन में इंटरनेट और अन्य सुविधाएं बंद किए जाने के विरोध में यह चक्‍काजाम बुलाया है। किसान संगठनों का कहना है कि 26 जनवरी के प्रदर्शन के बाद कई किसानों के ट्रैक्टर जब्‍त कर लिए गए। कुछ लोग आंदोलन को बदनाम करना चाहते हैं। 26 जनवरी को भी ऐसा ही हुआ था। इस बार और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। राकेश टिकैत ने अपने नेताओं से कहा कि साजिश करने वालों से सावधान रहें। किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि आंदोलन में लंबा चलने के लिए युवाओं का साथ जरूरी है, युवा अपने गुस्से पर काबू रखें कोई भी पुलिस या किसी अधिकारी से अनावश्यक टकराव ना करें।

बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा शांति से ही जीत मिलेगी। कुछ लोग चाहते हैं कि हिंसा हो ,इसलिए सतर्क रहें। किसान आंदोलन में ही शामिल एक और संगठन के नेता गुरनाम सिंह ने कहा कि हमने अपने लोगों को मैसेज और फोन करके शांति बनाए रखने के लिए कहा है, सभी को यही बताया है कि संयम बनाए रखें। आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए शुक्रवार से ही उत्तर प्रदेश और राजस्थान में किसान पंचायतों का दौर शुरू हो गया था। यह किसान पंचायतें फरवरी के आखिरी तक चलेंगी। इनका आयोजन राष्ट्रीय लोक दल की ओर से किया जा रहा है।

राष्ट्रीय लोक दल ने पिछले सप्ताह किसान आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान किया है। राष्ट्रीय लोक दल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि किसान पंचायतों का मकसद सरकार को यह बताना है कि यह एक बड़ा आंदोलन है। इसमें राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी बनती है कि वे किसानों तक पहुंचे और दूसरे लोगों को भी इस मुद्दे की संवेदनशीलता के बारे में बताएं। जयंत चौधरी ने शामली में हुई एक खाप पंचायत के दौरान यह बात कही। इस खाप पंचायत में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत भी मौजूद थे। शामली में हजारों की संख्या में किसान खाप पंचायत में पहुंचे थे। लोकसभा में विपक्षी दलों ने शुक्रवार को कृषि कानून वापस लेने के लिए नारेबाजी की। जिस कारण दिन भर में 2 बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी। इससे पहले भी विपक्षी दलों ने लोकसभा के स्पीकर से इस मसले पर अलग से चर्चा की मांग की थी।