हल्द्वानी- (नजर कुर्सी पर) रौतेला के लिए विजयी रथ को जारी रखना और सुमित के लिए पहली जीत का स्वाद चखना बड़ी चुनौती

हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क- निकाय चुनाव जमकर घमासान देखने को मिल रहा है। सबसे बड़ा दंगल हल्द्वानी नगर निगम में चल रहा है। इस बाद 33 गांवों को नगर निगम में शामिल करने के बाद चुनावी दंगल और दिलचस्प हो गया है। सबसे बड़ी लड़ाई सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस के बीच में है। दोनों पार्टियां हर
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हल्द्वानी- (नजर कुर्सी पर) रौतेला के लिए विजयी रथ को जारी रखना और सुमित के लिए पहली जीत का स्वाद चखना बड़ी चुनौती

हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क- निकाय चुनाव जमकर घमासान देखने को मिल रहा है। सबसे बड़ा दंगल हल्द्वानी नगर निगम में चल रहा है। इस बाद 33 गांवों को नगर निगम में शामिल करने के बाद चुनावी दंगल और दिलचस्प हो गया है। सबसे बड़ी लड़ाई सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस के बीच में है। दोनों पार्टियां हर हाल में चुनाव में फतह करना चाहती है। भाजपा की ओर से मेयर पद के प्रत्याशी निवर्तमान मेयर जोगेन्द्र सिंह रौतेला मैदान में है। वही कांग्रेस ने पूर्व मंडी समिति के अध्यक्ष सुमित हृदयेश पर दांव खेला है। ऐसे में सुमित के लिए पहली जीत का स्वाद चखना और रौतेला के लिए अपने विजयी रथ को बरकरार रखना बड़ी चुनौती बन गई है। वही नेता प्रतिपक्ष का गढ़ कहे जाने वाले हल्द्वानी में मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है। हालांकि कांग्रेस भाजपा का पहला विकेट गिरा चुकी है। कांग्रेस ने अपनी पहली सेंधमारी रामपुर रोड से शुरू कर दी है। वही भाजपा लंबे समय से पार्टी में रहे इस नेता को बचाने में नाकाम रही है। जिससे गेंद कांग्रेस के खेमे में जा गिरी। वही कांग्र्रेस ने कई जगह सेंधमारी कर अपनी पकड़ मजबूत की है।

हल्द्वानी- (नजर कुर्सी पर) रौतेला के लिए विजयी रथ को जारी रखना और सुमित के लिए पहली जीत का स्वाद चखना बड़ी चुनौती

ग्रामीण क्षेत्रों में दोनों पार्टियों का अपना-अपना दावा

निवर्तमान मेयर जोगेन्द्र रौतेला जनता के बीच जाकर अपने पिछले विकास कार्यों के दम पर चुनावी दंगल को जीतने की कोशिश में लगे हुए है। गौरतलब है कि पिछली बार केवल 27 वार्ड थे ऐसें में बाकि बचे 33 वार्डों पार पाना भाजपा के किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। हालांकि कई नेता अपने जीत के दांवे कर रहे है। उनका कहना है कई ग्रामीण क्षेत्र ऐसे में जो भाजपा के गढ़ माने जाते है। लेकिन नगर निगम में शामिल होने से ये ग्रामीण रंग में भंग डालने का काम कर सकते है। क्योंकि कांग्रेस का मनाना है कि जब हल्द्वानी के कई ग्रामीण क्षेत्र कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र में शामिल किये गये थे। उससे पहले कांग्रेस ने ही इन ग्रामीण क्षेत्रों में विकास का कार्य किया था। ऐसे में कांग्रेस के लिए राह आसान होती नजर आ रही है। वही कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी सुमित हृदयेश का कहना है कि मंडी समिति का अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में कई विकास के कार्य किये जिसका फायदा उन्हें सीधे तौर पर मिलेगा। दोनों पार्टिया अपने-अपने दांवे कर रही है। फिलहाल कहा नहीं जा सकता कि ऊंट किस करवट बैठेगा। लेकिन मुकाबला दिलचस्प होने वाला है।