हल्द्वानी-नैनीताल के इस आईएएस ने शुरू की गुड गवर्नेंस पर अनूंठी पहल, इस तकनीक से देख सकेंगे अपनी फाइल की लोकेशन

हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क- (जीवन राज)-अब शीघ्र ही आपको बार-बार ऑफिसों के चक्कर काटने नहीं पड़ेंगे। आज हर काम के लिए लोगों को सरकारी ऑफिसों के कई चक्कर काटने पड़ते है जिससे लोग परेशान हो जाते है। वही बाबू भी अब लोगों की फाइलों को अटका नहीं पायेंगे। इसके लिए मुख्य विकास अधिकारी नैनीताल आईएएस विनीत
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हल्द्वानी-नैनीताल के इस आईएएस ने शुरू की गुड गवर्नेंस पर अनूंठी पहल, इस तकनीक से देख सकेंगे अपनी फाइल की लोकेशन

हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क- (जीवन राज)-अब शीघ्र ही आपको बार-बार ऑफिसों के चक्कर काटने नहीं पड़ेंगे। आज हर काम के लिए लोगों को सरकारी ऑफिसों के कई चक्कर काटने पड़ते है जिससे लोग परेशान हो जाते है। वही बाबू भी अब लोगों की फाइलों को अटका नहीं पायेंगे। इसके लिए मुख्य विकास अधिकारी नैनीताल आईएएस विनीत कुमार नई डिजीटल पहल शुरू करने जा रहे है। जिससे लोगों को राहत मिलेगी और उनके काम भी जल्दी पूरे हो जायेंगे। साथ ही फाइल की लोकेशन का पता भी चल जायेगा कि अभी किस बाबू या अधिकारी के पास आपकी फाइल मौजूद है। ऐसे में लोगों से रोज-रोज के चक्कर लगाने वाले और काम नहीं करने वाले बाबूओं का पता चल सकेगा।

हल्द्वानी-नैनीताल के इस आईएएस ने शुरू की गुड गवर्नेंस पर अनूंठी पहल, इस तकनीक से देख सकेंगे अपनी फाइल की लोकेशन

नहीं काटने पड़ेगें दफ्तरों के चक्कर

बता दें कि हर रोज सरकारी कार्यालयों मे भीड़ दिखाई देती है। उनमें कई लोग ऐसे होते है जो हर रोज दिखाई देते है। कई लोगों का कहना है कि उनकी हर दिन अधिकारी और बाबू कई बहाने बनाकर टाल देते है और अगले दिन आने की बात कहते है। साथ ही आज इसके साइन नहीं हुए कल उसके साइन नहीं हुए कहते है। इससे हर दिन अपने कई काम छोडक़र ऑफिसों के चक्कर काटने पड़ते है। कई बार तो मजदूर तबके के लोगों को कई दिनों की मजूदरी भी गंवाई पड़ती है। फिर भी उनका काम नहीं होता है। ऐसे में आईएएस विनीत कुमार ने इस समस्या से छुटकारे के लिए उपाय खोने शुरू किये।

हल्द्वानी-नैनीताल के इस आईएएस ने शुरू की गुड गवर्नेंस पर अनूंठी पहल, इस तकनीक से देख सकेंगे अपनी फाइल की लोकेशन

फाइलों में लगेगा क्यूआर बार कोड

आईएएस विनीत कुमार ने कई जानकार लोगों से बात की। अब वह सरकारी फाइलों की रफ्तार को और तेज करने के लिए एक नई पहल करने जा रहे हैं। वह इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए डिजीटल दुनियां का सहारा लेंगे। जिससे बाबुओं द्वारा फैलाया गया फाइलों का मकडज़ाल समाप्त हो जायेगा। उन्होंने कहा कि फरियादी को क्यूआर कोड के जरिये एक यूनिक आईडी नंबर जारी किया जायेगा। जिससे वह अपनी फाइल की लोकेशन पता कर सकेगे। यह पता चल जायेगा कि अभी फाइल किस अधिकारी या फिर बाबू के पास है। उसमें काम कितना हो गया है। इससे लोगों को रोज-रोज दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेगें। और बाबूओं द्वारा फैलाया गया फाइलों का मकडज़ाल भी समाप्त हो जायेगा।

हल्द्वानी-नैनीताल के इस आईएएस ने शुरू की गुड गवर्नेंस पर अनूंठी पहल, इस तकनीक से देख सकेंगे अपनी फाइल की लोकेशन

क्या है क्यूआर बार कोड

यह एक प्रकार के मैट्रिक्स बारकोड या द्वि-आयामी संकेतावली के लिए ट्रेडमार्क है। क्यूआर संकेतावली सर्वप्रथम मोटर वाहन उद्योगों के लिए विकसित किया गया था। लेकिन इसकी जल्द पठनीयता और बड़ी भंडारण क्षमता के चलते हाल ही में यह तंत्रज्ञान मोटर वाहन उद्योगों से परे भी लोकप्रिय हो गया। एक बारकोड एक मशीन पठनीय ऑप्टिकल लेबल है जो खुद से जुड़े हुए आइटम के बारे में जानकारी रखते है। ये कोड काले और सफेद रंग से बने एक डिब्बे जैसा आकर का बना होता है। क्यूआर कोड को हम 2डी बारकोड भी कहते है। बारकोड काम कैसे करता है तो इसमें नीचे 1 से लेकर 9 नंबर कोई सा भी हो सकता है। हर नंबर में 7 लाइन को चुना गया है अगर सात लाइन खड़ी है तो इसमें कुछ वाइट तो कुछ ब्लैक होती है। तो हर लाइन के लिए अलग अलग नंबर होते है।