नैनीताल- कुमाऊं विश्वविद्यालय के इस फैसले ने बढ़ाई छात्रों की चिंता, पढ़ाई में पिछड़ने का इसलिए सता रहा डर

कोरोना के चलते तमाम शिक्षक संस्थाओं की तरह कुमाऊं विश्वविद्यालय भी करीब दो महीने से बंद है, ऐसे में विश्वविद्यालय लॉकडाउन में ऑनलाईन पढ़ाई करायें जाना का दावा तो कर रहा है, लेकिन कोरोना के बचाव से पहाड़ गए छात्रों की माने तो मोबाईल में नेटवर्क ना होने के कारण उनकी पढ़ाई नहीं हो पाई,
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नैनीताल- कुमाऊं विश्वविद्यालय के इस फैसले ने बढ़ाई छात्रों की चिंता, पढ़ाई में पिछड़ने का इसलिए सता रहा डर

कोरोना के चलते तमाम शिक्षक संस्थाओं की तरह कुमाऊं विश्वविद्यालय भी करीब दो महीने से बंद है, ऐसे में विश्वविद्यालय लॉकडाउन में ऑनलाईन पढ़ाई करायें जाना का दावा तो कर रहा है, लेकिन कोरोना के बचाव से पहाड़ गए छात्रों की माने तो मोबाईल में नेटवर्क ना होने के कारण उनकी पढ़ाई नहीं हो पाई, ऐसे में अब विश्वविद्यालय परीक्षाओं की तैयारी में जुट गया है। जिसकी भनक लगते ही तमाम छात्र इन परीक्षाओं का विरोध कर रहे है।

नैनीताल- कुमाऊं विश्वविद्यालय के इस फैसले ने बढ़ाई छात्रों की चिंता, पढ़ाई में पिछड़ने का इसलिए सता रहा डर

एप के जरिए चलाई क्लासेस नेटवर्क ने कराई छुट्टी

छात्रों की माने तो गूगल क्लास रुप नाम से मोबाईल एप के जरिए सुबह 9 बजे से टीचर इस एप के माध्यम से शाम के 4-5 बजे तक पढ़ाई करा रहे है। इस एप में लॉगिन के लिए हर छात्र को एक कोड भी दिया गया है, लेकिन इस ऑनलाईन कक्षा का लाभ सिर्फ उन्हीं छात्रों को हो रहा है जिनके गांव में मोबाईल नेटवर्क की समस्या नहीं है, जबकि नेटवर्क नहीं होने के कारण कई छात्र इस सुविधा से कोसो दूर है।

नैनीताल- कुमाऊं विश्वविद्यालय के इस फैसले ने बढ़ाई छात्रों की चिंता, पढ़ाई में पिछड़ने का इसलिए सता रहा डर

इन्हीं सब के बीच विश्वविद्यालय अब परीक्षा की बात कर रहा है। जिसके चलते अब कहीं छात्र-छात्राओं पर तनाव हावी हो रहा है तो पिथौरागढ़ कॉलेज की तरह कई जगह वह बिना तैयारी के परीक्षाएं कराए जाने का विरोध करने लगे हैं। इन हालातों में विश्विद्यालय हवा में हुई पढ़ाई के आधार पर परीक्षा कराने के साथ ही यह तैयारी भी कर रहा है कि विश्वविद्यालय को ए प्लस श्रेणी पर लाया जाए। लेकिन गांव ही नहीं, शहरों के छात्र भी विश्वविद्यालय प्रशासन पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

छात्रों के भविष्य की जिम्मेदारी पहले

वही मामले में कुमाऊं विश्वविद्यालय के एक्जाम कंट्रोलर हरीश चंद्र सिंह बिष्ट की माने तो कोडिव-19 महामारी के चलते विद्यार्थियों का भविष्य खराब न हों इसके लिए यूजीसी की गाईडलाईन के बाद विश्वविद्यालय परीक्षा की तैयारी कर रहा है। 1 जुलाई से 30 जुलाई के बीच छात्रों की परीक्षाएं होनी है। ऐसे में छात्रों को घबराने की जरुरत नहीं है, विश्वविद्यालय उनके भविष्य और सेहत दोनों को ध्यान में रखकर परीक्षा की तैयारी में जुटा है। उनकी माने तो परीक्षा में छात्रों को बैठाने के लिए एक योजना तैयार की जारी है, जिसमें एक कमरे में 4-5 छात्रों को ही बैठाने पर विचार चल रहा है।

पढ़ाई बनी एक संघर्ष

कोरोना से बचने के लिए शहर से गांव पहुंचे विश्वविद्यालय के छात्रों को खोजकर भी नेटवर्क नहीं मिल रहा है। नेटवर्क से परेशान छात्रों को पढ़ाई की चिंता है तो कुछ को डर लगने लगा है कि इस वजह से वे पिछड़ जाएंगे। ऑनलाइन क्लास के नाम पर वाट्सएप पर किताबों की फोटो खींचकर दी जा रही है जिससे छात्र-छात्राओं को नोट्स तैयार करने में दिक्कतें आ रही हैं. कुमाऊं विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के सिर पर पर अब यह चिंता सवार हो गई है कि परीक्षा में बेहतर अंक कैसे लाएं।