जहरीली होते जा रही है देवभूमी की ये नदियां, पानी में पाये जा रहे ये घातक रसायन

Uttarakhand rivers, देहरादून की रिस्पना, बिंदाल और सुसवा नदियों को इंसानों ने अब जीवन देने की बजाय लेने वाली बना दिया है। एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक इन तीनों नदियों का पानी इतना जहरीला हो चुका है कि इंसानों के साथ ही जीव-जंतुओं के लिए इसका प्रयोग जानलेवा हो सकता है। रिस्पना, बिंदाल और सुसवा
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जहरीली होते जा रही है देवभूमी की ये नदियां, पानी में पाये जा रहे ये घातक रसायन

Uttarakhand rivers, देहरादून की रिस्पना, बिंदाल और सुसवा नदियों को इंसानों ने अब जीवन देने की बजाय लेने वाली बना दिया है। एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक इन तीनों नदियों का पानी इतना जहरीला हो चुका है कि इंसानों के साथ ही जीव-जंतुओं के लिए इसका प्रयोग जानलेवा हो सकता है। रिस्पना, बिंदाल और सुसवा नदियों का पानी पीना तो दूर आचमन करने लायक भी अब नहीं रहा। तीनों नदियों से एक-एक किलोमीटर की दूरी से पानी के सैंपल लिए गए थे। इनका परीक्षण कंडोली स्थित लैब में कराया गया। इन नदियों (Uttarakhand river) के पानी में अब मछलियों का जीना भी संभव नहीं रहा। ये नदियां सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मानकों से भी कहीं ज्यादा दूषित हो चुकी हैं। स्पेक्स और जॉय संस्था की रिपोर्ट में ये दावा किया गया है।

नदियों में है शहर भर की गंदगी

इस बारे विशेषज्ञों ने कहा कि सुसवा नदी रिस्पना और बिंदाल नदी का संगम है। उस संगम में शहर का हर तरह का प्रदूषण है। इस संगम में ऐसे जहरीले पदार्थ हैं जिससे कैंसर जैसी बीमारी भी हो सकती है। इसका खराब परिणाम दुदली में दिखाई दे रहा है। कहा कि नदी के दो तरह के एनवॉयरमेंटल और कल्चरल फ्लोज हैं। ये दोनों ही नदियों (uttarakhand river) में होने की जरूरत है। एनवॉयरमेंटल फ्लोज जो हैं वो नदी के अपने तंत्र के लिए, नदी में चलने वाले जीवन के लिए जरूरी है।

जहरीली होते जा रही है देवभूमी की ये नदियां, पानी में पाये जा रहे ये घातक रसायन

वहीं कल्चरल फ्लोज इसलिए जरूरी है कि नदियां हमारे कल्चर की भी वाहक हैं। कल्चरल जरूरतें भी हैं। उन्होंने कहा कि अभी सुसवा का जो अध्ययन हुआ है उससे ये सामने आया है कि ये नदियां दोनों ही जरूरतों को पूरा नहीं कर रही हैं। इन (uttarakhand river) नदियों का खुद का तंत्र भी तहस नहस हो गया है और कल्चरल फ्लोज की तो उम्मीद ही नहीं की जा सकती। इन्हीं वजहों से नीचे बह रही ये नदियां पूरी तरह से प्रदूषित हो गई हैं। सुसवा पहुंचने तक इन नदियों की हालत बुरी हो जाती है। इस पानी को पीना तो दूर इसमें मछली भी नहीं रह सकती है।

पानी में बह रहा जहर

इन तीनों नदियों में सीवरेज कचरा, डेरियों का गोबर, छोटे उद्योगों और अन्य संस्थानों की गंदगी जा रही है। इस वजह से इन नदियों के पानी में क्रोमियम, जिंक, आयरन, लेड और मैगनीज जैसे घातक रसायन अधिक मात्रा में पाए गए हैं। ये पदार्थ मिट्टी, जलीय जीवों के साथ ही जंगली जानवरों के लिए भी बेहद खतरनाक हैं। अहम बात ये है कि ये तीनों नदियां गंगा का हिस्सा बनने से पहले राजाजी टाइगर रिजर्व से होकर बहती हैं। यही पानी पार्क के वन्य जीव-जंतु पीते होंगे। इस पानी के इस्तेमाल से घातक बीमारियों का शिकार होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।नदियों का पर्यावरण संतुलन दिनोंदिन बिगड़ रहा है, जो मानव जीवन के लिए खतरे का संकेत है। नदियों (uttarakhand river) का सीधा संबंध वायुमंडल से होता है। देहरादून की इन तीनों नदियों में जिस खतरनाक स्तर तक रसायन का स्तर पहुंच चुका है, ये मानव जीवन के साथ जीव-जंतुओं के लिए भी खतरे की घंटी है।