…तो इसलिए नवरात्रि में होती है कन्याओं की पूजा, हर उम्र की कन्या का है अलग-अलग महत्व

नई दिल्ली-न्यूज टुडे नेटवर्क : नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। कन्याओं को देवी मां का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि के अंतिम दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति एवं समृद्धि आती है। हिंदू धर्म ग्रथों में नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का भी एक अलग
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…तो इसलिए नवरात्रि में होती है कन्याओं की पूजा, हर उम्र की कन्या का है अलग-अलग महत्व

नई दिल्ली-न्यूज टुडे नेटवर्क : नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। कन्याओं को देवी मां का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि के अंतिम दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति एवं समृद्धि आती है। हिंदू धर्म ग्रथों में नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का भी एक अलग महत्व है। 3 से 9 साल तक की कन्याओं का पूजन अष्टमी और नवमीं के दिन करने की परंपरा है। लेकिन क्या आप लोग जानते है कि नवरात्रि के दौरान सिर्फ छोटी बच्चियों की ही पूजा क्यों होती है और इसके क्या महत्व है। आइए जानते है इस आर्टिकल में…

…तो इसलिए नवरात्रि में होती है कन्याओं की पूजा, हर उम्र की कन्या का है अलग-अलग महत्व

3 वर्ष की कन्या पूजा से लाभ : सबसे छोटी कन्या अर्थात् 3 वर्ष की कन्या को कौमारी कहा जाता है। इनकी पूजा करने से आपकी दरिद्रता हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है।

4 वर्ष की कन्या पूजा : ऐसी मान्यता है कि 4 वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति होती है। त्रिमूर्ति के पूजन करने से आपके घर में धन का आगमन होगा और आप संपंन्न हो जाएंगें

5 वर्ष की कन्या पूजा : ऐसी मान्यता है कि 5 वर्ष की कन्या कल्याणी का रूप होती है और इसकी पूजा करने से सुख और समृद्धि का आगमन होता है।

6 वर्ष की कन्या पूजा : रोहणी के नाम से मानी जाने वाली 6 वर्ष की कन्या की पूजा करने से पूजन करने वाला और करवाने वाला व्यक्ति रोग से मुक्त हो जाता है।

…तो इसलिए नवरात्रि में होती है कन्याओं की पूजा, हर उम्र की कन्या का है अलग-अलग महत्व

7 वर्ष की कन्या पूजा : ऐसी मान्यता है कि 7 वर्ष की बालिका चण्डिका का रूप होती है और उसके पूजन से आपको ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

8 वर्ष की कन्या पूजा : 8 वर्ष की बालिका का पूजन करने से इसे शाम्भावी की पूजा माना जाता है। ऐसा करने से आपको लोकप्रियता मिलती है।

9 वर्ष की कन्या पूजा : 9 वर्ष की कन्या को मां दुर्गा का रूप माना जाता है और इसकी पूजा करने से आपको शत्रुओं पर विजय मिलती है और ऐसे काम हो जाते है जो बहुत समय से रुके हुए थे।

…तो इसलिए नवरात्रि में होती है कन्याओं की पूजा, हर उम्र की कन्या का है अलग-अलग महत्व

इस तरह करें कन्या पूजन

  • कन्या पूजन के दिन घर आईं कन्याओं का सच्चे मन से स्वागत करें। इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं। इसके बाद स्वच्छ जल से उनके पैरों को धोना चाहिए। इससे भक्तों के पापों का नाश होता है।
  • इसके बाद सभी 9 कन्याओं के पैर छूकर आर्शीवाद लेना चाहिए। इससे भक्तों की तरक्की होती है। पैर धोने के बाद कन्याओं को साफ आसन पर बैठाना चाहिए।
  • अब सारी कन्याओं के मत्थे पर कुमकुम का टीका लगाना चाहिए ओर कलावा बांधना चाहिए।
  • कन्याओं को भोजन कराने से पहले अन्न का पहला हिस्सा देवी मां को भेंट करें, फिर सारी कन्याओं को भोजन परोसें। वैसे तो मां दुर्गा को हलवा, चना और पूरी को भोग लगाया जाता है, लेकिन अगर आपका सार्मथ्य नहीं है मो आप अपनी इच्छानुसार कन्याओं को भोजन कराएं।
  • भोजन समाप्त होने पर कन्याओं को अपने सार्मथ्य अनुसार दक्षिणा अवश्य दें। क्योंकि दक्षिणा के बिना दान अधूरा रहता है। यदि आप चाहते हैं तो कन्याओ को अन्य कोई भेंट भी दे सकते हैं।
  • अंत में कन्याओं के जाते समय पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और देवी मां को ध्यान करते हुए कन्या भोज के समय हुई कोई भूल की क्षमा मांगे। ऐसा करने से देवी मां प्रसन्न होती हैं और भक्तो के सभी कष्ट दूर होते हैं।