फिर आपदा की ओर बड़ रहा केदारनाथ धाम, विशेषज्ञों को मिले यह अहम सबूत

Kedarnath Temple, देवभूमी में केदारनाथ में वर्ष 2013 में आई आपदा को शायद ही कोई भूला हो। चोराबाड़ी झील की वजह से लोगों को उस वक्त भयानक त्रासदी का सामना करना पड़ा था। अब एक बार फिर यह हालात पुनर्जीवित हो रहे है। दरअसल, केदारनाथ में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वाले मेडिकल प्रफेशनल्स के एक
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फिर आपदा की ओर बड़ रहा केदारनाथ धाम, विशेषज्ञों को मिले यह अहम सबूत

Kedarnath Temple, देवभूमी में केदारनाथ में वर्ष 2013 में आई आपदा को शायद ही कोई भूला हो। चोराबाड़ी झील की वजह से लोगों को उस वक्त भयानक त्रासदी का सामना करना पड़ा था। अब एक बार फिर यह हालात पुनर्जीवित हो रहे है। दरअसल, केदारनाथ में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वाले मेडिकल प्रफेशनल्स के एक ग्रुप ने इस बात का दावा किया है कि चोराबाड़ी झील खुद-ब-खुद दोबारा तैयार हो रही है। इस झील को गांधी सरोवर के नाम से भी जाना जाता है, यह बाढ़ के बाद पूरी तरह से गायब हो गई थी। इतना ही नहीं, झील वाला स्थान समतल भूमि में परिवर्तित हो गया था। हालांकि, मेडिकल प्रफेशनल्स का कहना है कि उन्हें झील मिली है, जो कि केदारनाथ मंदिर से पांच किलोमीटर की दूरी पर है, यह पानी से लबालब है। इस बात की जानकारी उन्होंने जिला प्रशासन को भी दी है। जिसने दून स्थित वाडिया इन्स्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जिऑलजी को अलर्ट कर दिया है।

फिर आपदा की ओर बड़ रहा केदारनाथ धाम, विशेषज्ञों को मिले यह अहम सबूत

पानी से पूरी तरह भरी है झील

जानकारी मुताबिक 16 जून को एसडीआरएफ, पुलिस और जिला प्रशासन की एक टीम चोराबाड़ी झील के नजदीक गए थे, जहां पर उन्होंने पानी से भरी हुई झील को देखा। बताया जाता है कि ‘यह रास्ता घाटी के मुश्किल रास्तों में से एक है, जहां से चोराबाड़ी को स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। जहा से पता चला कि यह झील फिर से पानी से लबालब है। मेडिकल प्रफेशनल्स की माने तो यह झील चोराबाड़ी ही थी। यह झील मंदिर के पीछे है और फिर से खुद-ब-खुद तैयार हो रही है और यदि इस पर वक्त रहते ध्यान न दिया गया तो बड़ी घटना घटित हो सकती है।

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वैज्ञानिकों का दावा

वैज्ञानिकों की माने तो चोराबाड़ी झील तकरीबन 250 मीटर लंबी और 150 मीटर चौड़ी है और यह बारिश, पिघलने वाली बर्फ और हिमस्खलन की वजह से भरी है। वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई भीषण आपदा के बाद जिन वैज्ञानिकों ने इस झील की भूमिका के बारे में अध्ययन किया, उनका दावा था कि यह फिर कभी जीवित नहीं हो पाएगी।