कूड़े के ढेर में मिली बच्ची, बनी पीसीएस अफसर, पिता बोला लडक़ी नहीं ये हीरा है

नई दिल्ली-न्यूज टुडे नेटवर्क : हमारी जिंदगी में हर दिन अलग होता है किसी का दिन कभी खराब आता है और किसी का सही। लेकिन एक दिन खराब दिन वाले का भी सही दिन जरूर आता है। कहते है कि समय से पहले किसी को कुछ भी नहीं मिलता है। आज हम आपको एक ऐसी
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कूड़े के ढेर में मिली बच्ची, बनी पीसीएस अफसर, पिता बोला लडक़ी नहीं ये हीरा है

नई दिल्ली-न्यूज टुडे नेटवर्क : हमारी जिंदगी में हर दिन अलग होता है किसी का दिन कभी खराब आता है और किसी का सही। लेकिन एक दिन खराब दिन वाले का भी सही दिन जरूर आता है। कहते है कि समय से पहले किसी को कुछ भी नहीं मिलता है। आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आपको भी गर्व होगा। कहानी कुछ ऐसी है जिसने किसी की जिंदगी संवार दी।

कूड़े के ढेर में मिली बच्ची, बनी पीसीएस अफसर, पिता बोला लडक़ी नहीं ये हीरा है

ये है मामला

दरअसल,यह मामला आसाम के एक जिला निसुखिया से है। जहां पर सोबरन सब्जी बेचने का काम करता था। वह सब्जी का ठेला लेकर घर आ रहे थे। थोड़ी ही दूर चले थे कि झाडिय़ों के बीच उन्हें किसी बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी। आवाज सुनकर उन्होंने अपना ठेला रोका और झाडिय़ों की तरफ निकल पड़े। उन्होंने जो देखा होश उड़ गए। एक मासूम बच्ची कूड़े के ढेर पर पड़ी बिलख-बिलख कर रो रही थी। उन्होंने इधर-उधर देखा, लेकिन दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आया। जब कोई नहीं दिखाई दिया, तो उसने मासूम को गोद में उठा लिया। करीब से देखा कि वह किसी की बेटी है। उसने बच्ची को अपने घर ले आया। उस समय उम्र 30 वर्ष थी और उसकी शादी भी नहीं हुई थी। सोबरन उस बच्ची को पाकर बहुत खुश था। उसके फैसला ले लिया कि अब वह शादी नहीं करेगा और जिंदगी भर इस बच्ची का ख्याल रखेगा।

लडक़ी का नाम रखा ज्योती

दिनभर मेहनत कर उसे अपनी बेटी की तरह पाला और उसे लडक़ी का नाम रखा ज्योती। दिन रात मेहनत कर बेटी को पढ़ाया, उसे किसी चीज की कमी नहीं होने दी। खुद भूखा सो जाता, लेकिन अपनी बेटी को एक मिनट के लिए भूखा नहीं रखता। सोबरन ने 2013 में कम्प्यूटर साइंस से ग्रेजुएशन कराया और इसके बाद ज्योती तैयारी में जुट गई। साल 2014 में ज्योती ने आसाम लोक सेवा आयोग से पीसीएस की परीक्षा में कामयाबी हासिल की और उसे आयकर सहायक आयुक्त के पद पर ही पोस्टिंग दी गई।

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जब पिता की आंखों में आ गए आंसू

सोबरन अपनी बेटी को देखकर आंसुओं से भीग गया, क्योंकि उसकी बेटी ने उसके सभी सपने पूर कर दिए। आज ज्योती अपने पिता को साथ रखती है और उनकी हर ख्वाहिश को पूरा करती है। सोबरन का कहना है कि मैंने कूड़े से लडक़ी नहीं एक हीरा उठाया था जो आज हमारी बुढ़ापे की लाठी बन गया है। सोबरन से जब पूछा गया कि आज अपनी बेटी की इस पद पर देखकर उन्हें कैसा लगा, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि उनकी बेटी ने उनकी 25 साल की मेहनत का उन्हें सबसे शानदार फल दिया है। ये बात पुरानी है, लेकिन सीख देती है।