2019 का पहला चंद्रग्रहण 21 जनवरी को, ग्रहण के दौरान इन बातों का रखें विशेष ध्यान…
नई दिल्ली-न्यूज टुडे नेटवर्क : 21 जनवरी को साल 2019 का पहला चंद्रग्रहण (रुह्वठ्ठड्डह्म् श्वष्द्यद्बश्चह्यद्ग) लगने वाला है। इस बार चंद्रमा की राशि कर्क में यह ग्रहण बन रहा है। कर्क जलीय राशि है जिस कारण जल तत्व में हलचल रहेगी। आने वाले सोमवार को पडऩे वाला ग्रहण मध्य प्रशांत महासागर, उत्तरी/दक्षिणी अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका में दिखाई देगा, जबकि भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा। यह चदं्र ग्रहण बहुत ही खास माना जा रहा है, क्योंकि यह सुपर ब्लड मून होगा।
करीब 1 घंटा पड़ेगा ग्रहण
भारतीय समयानुसार ये चंद्रग्रहण सुबह 10.11 बजे से शुरू होगा और तकरीबन 1 घंटा यानि 11.12 बजे तक रहेगा। वहीं ग्रहण से पहले सूतक काल 12 घंटे पहले ही शुरू हो जाता है। इस लिहाज से सूतक 20 जनवरी की रात 9 बजे से ही शुरु हो जाएगा। इस दौरान कुछ चीजों का ध्यान रखना जरूरी है।
इन लोगों पर पड़ेगा चंद्रग्रहण का असर
इच चंद्र ग्रहण का प्रभाव पुष्य नक्षण और कर्क राशि के लोगों पर पडऩे वाला है। इसलिए इस चंद्र ग्रहण के बुरे असर को कम करने के लिए कर्क राशि और पुष्य नक्षत्र में जन्मे लोगों को सावधानी बरतनी होगी। साथ ही हम आपको ये भी बता दें कि चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। परंतु मध्य प्रशांत, उत्तरी दक्षिणी अमेरिका, यूरोप अफ्रीका में जरूर नजर आएगा।
सूतक काल के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूतक समय को आमतौर पर अशुभ मुहूर्त समय माना जाता है। इसे ऐसा समय कहा जा सकता है, जिसमें शुभ कार्य करने वर्जित होते है। सूतक ग्रहण समाप्ति के बाद धर्म स्थलों को फिर से पवित्र किया जाता है।
- सूतक के समय भोजन नहीं करना चाहिए। जल का भी सेवन नहीं करना चाहिए। ग्रहण से पहले ही जिस पात्र में पीने का पानी रखते हों उसमें कुशा और तुलसी के कुछ पत्ते डाल देने चाहिए।
- ग्रहण के बाद पीने के पानी को बदल लेना चाहिए। अनेक वैज्ञानिक शोधों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि ग्रहण के समय मनुष्य की पाचन शक्ति बहुत शिथिल हो जाती है। ऐसे में यदि उनके पेट में दूषित अन्न या पानी चला जाएगा तो उनके बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है।
- चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की छाया आदि से विशेष रूप से बचना चाहिए।
- ग्रहण के समय देव पूजा को भी निषिद्ध बताया गया है। इसी कारण ग्रहण के 12 घंटे से पूर्व ही सूतक लगने के कारण मंदिरों के पट भी बंद कर दिए जाते है।