हल्द्वानी-कभी भोले के दर पर जूते-चप्पल उठाता था ये कलाकार, आज बन गया उत्तराखंड का सुपरस्टार

हल्द्वानी- न्यूज टुडे नेटवर्क-(जीवन राज)- स्कूल के दिनों में गाने की शुरूआत की लेकिन आगे बढऩे के लिए आर्थिक संकट सामने खड़ा हो गया। फिर गुरू ने पकड़ी उंगली तो शुरू हुआ उत्तराखंडी गायकी का एक दौर। यह कहानी है उस शख्स की जो उत्तराखंड के अंतिम गांव माणा (बद्रीनाथ) में निवास करते है ।
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हल्द्वानी-कभी भोले के दर पर जूते-चप्पल उठाता था ये कलाकार, आज बन गया उत्तराखंड का सुपरस्टार

हल्द्वानी- न्यूज टुडे नेटवर्क-(जीवन राज)- स्कूल के दिनों में गाने की शुरूआत की लेकिन आगे बढऩे के लिए आर्थिक संकट सामने खड़ा हो गया। फिर गुरू ने पकड़ी उंगली तो शुरू हुआ उत्तराखंडी गायकी का एक दौर। यह कहानी है उस शख्स की जो उत्तराखंड के अंतिम गांव माणा (बद्रीनाथ) में निवास करते है । जिनका गाना आज बच्चे-बच्चे की जुबां पर चढ़ा हुआ है। इस गाने को यू-ट्यूब पर करीब एक करोड़ सत्तर लाख से भी ज्यादा लोग सुन चुके है। जिनके गाने ने उत्तराखंड के हर कार्यक्रम में अपनी धाक जमा दी है। जिनके गाने को सुनकर आप भी झूमने पर मजबूर हो जायेंगे। जिन्होंने गढ़वाल ही नहीं पूरे उत्तराखंड में अपना कब्जा जमा लिया है। वो नाम है किशन महिपाल। उत्तराखंडी की गायकी में आज किशन महिपाल का नाम टॉप पर है।

हल्द्वानी-कभी भोले के दर पर जूते-चप्पल उठाता था ये कलाकार, आज बन गया उत्तराखंड का सुपरस्टार

कौन है किशन महिपाल

एम. कॉम करने के बाद किशन महिपाल ने उत्तराख्ंाड की गायकी में पुराने गानों को नये अंदाज में गाकर युवाओं और बुजुर्गो को एक साथ जोड़ दिया। तभी तो उनके फ्लो लडिय़ा गाने को यू-ट्यूब पर करीब एक करोड़ सत्तर लाख से भी ज्यादा लोग सुन चुके हैं। न्यूज टुडे नेटवर्क से खास बातचीत में किशन महिपाल ने बताया कि जब उन्होंने स्कूल, कॉलेजों में गाना शुरू किया तो लोगों ने उनकी खूब तारीफ की और आगे गाने की सलाह दी। लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने से उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिये। यहां उनका साथ दिया प्रोफेसर बीपी श्रीवास्तव जी ने, जिन्होंने उनकी पहली एलबम रिकॉर्ड करायी। और फिर निकल पड़ी महिाल गाड़ी। महिपाल ने कहा कि गुरू के रूप में मुझे एक भगवान मिल गया। जिससे मेरा भविष्य संवर गया।

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जब पाई-पाई के लिए मोहताज हो गये थे महिपाल

मेरे पिता जी एक सरकारी ठेकेदार थे। उनकी मृत्यु के बाद मुझे पता चला कि उन पर कर्जा बाकि है। 1980 में उनके ऊपर साठ हजार का कर्जा था। सन 2000 तक बढ़ते-बढ़ते दो लाख साठ हजार हो चुका था। इतनी बड़ी धनराशि मैंने कभी सपने में भी नहीं देखी थी। तो सरकार ने इस धनराशि को वसूल करने के लिए हमारे घर में ताला पड़वा दिया। और मेरा परिवार सडक़ पर आ गया। उन्होंने बताया कि इसके बाद वह पाई-पाई के लिए मोहताज हो गये। इसके बाद उन्होंने मजदूरी शुरू की। बद्रीनाथ में उन्होंने जूते-चप्पल उठाये और तुलसी की मालाएं तक बेची। इसके साथ ही कॉलेज भी किया। अब उन्हें लगता था कि कुछ भी काम मिले तो वहां चला जाता। क्योंकि उनके ऊपर परिवार की जिम्मेदारी थी। बहनों की शादी करनी थी। सरकार से मकान छुड़वाना था। उनकी पहली एलबम सुपरहिट हुई तो गढऱत्न नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने उन्हें अपनी कंपनी में गाने का मौका दिया तो दूसरी एलबम भी हिट हो गई। फिर तीसरी एलबम की तो वह भी हिट हो गई। इसके बाद महिपाल की गाड़ी आगे निकल गई।

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करीब एक करोड़ सत्तर लाख लोगों ने सुना फ्लो लडिय़ा

उन्होंने बताया कि वह अपने गीतों में फॉक रखने की कोशिश करते है। साथ ही वेस्टन म्यूजिक भी रखना चाहते हूं। उन्होंने कहा कि वह बुजुर्गो और युवाओं का एक साथ लेकर चलना चाहते है। जैसे कि उन्होंने फ्यों लडिया गाने में किया। जिससे युवाओं ने काफी पंसद किया। जिसे अभी तक यू-ट्यूब में 157065507 लोग इस गाने को सुन चुके हैं। इस गीत को लिखा था स्व. शिव प्रसाद पोखरियाल जी ने, जिसे आज एक नये अंदाज में गाकर किशन महिपाल ने दर्शकों के सामने रखा। उनके फ्यों लडिया गाने ने उत्तराखंड ही नहीं विदेशों में खूब धूम मचा रखी है। इस गीत को लेकर विदेशों में रहने वाले उत्तराखंडी प्रवासियों ने उनकी जमकर तारीफ की है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर मैं आज गायक नहीं होता तो या तो एक ठेकेदार होता या फिर कही पर दुकान खोल कर बैठा होता। लेकिन आज जो नाम मेहनत कर किशन महिपाल ने उत्तराखंड की धरती पर कमाया है वाकई काबिले तारीफ है। वह युवाओं के लिए आगे बढऩे के एक बड़ा प्रेणास्त्रोत बन गये है। जिन्होंने गरीबी से उठकर एक नया मुकाम हासिल किया।