देहरादून- उत्तराखंड के इस स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को लोग कहते थे “कुमाऊं टाईगर”, इस उम्र में पहली बार गए जेल

मदन मोहन उपाध्याय उत्तराखंड के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वह लोगों में “कुमाऊं टाईगर” के नाम से प्रसिद्ध थे। उनका जन्म 25 अक्टूबर 1910 को द्वाराहाट में हुआ। उनकी प्राथमिक शिक्षा द्वाराहाट और नैनीताल से पूरी हुई। जिसके बाद अपने भाई के साथ वह इलाहबाद चले गए। यहां चार साल स्वंतत्रता संग्राम सेनानियों के
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देहरादून- उत्तराखंड के इस स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को लोग कहते थे “कुमाऊं टाईगर”, इस उम्र में पहली बार गए जेल

मदन मोहन उपाध्याय उत्तराखंड के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वह लोगों में “कुमाऊं टाईगर” के नाम से प्रसिद्ध थे। उनका जन्म 25 अक्टूबर 1910 को द्वाराहाट में हुआ। उनकी प्राथमिक शिक्षा द्वाराहाट और नैनीताल से पूरी हुई। जिसके बाद अपने भाई के साथ वह इलाहबाद चले गए। यहां चार साल स्वंतत्रता संग्राम सेनानियों के संपर्क में रहने के बाद मदन मोहन भी आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।

16 साल की उम्र में पहली बार गए जेल

16 साल की उम्र में वह पहली बार एक साल के लिए जेल गए। 1936 में अपनी वकालत की शिक्षा पूरी करके वह रानीखेत आ गए। यहां वे रानीखेत कन्टोमेंट बोर्ड के उपाध्यक्ष भी चुने गए। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में मदन मोहन उपाध्याय को अल्मोड़ा के मासी गांव से गिरफ्तार किया गया, जहां वे पुलिस की गिरफ्त से फरार हो गए। उनके नाम 1000 रूपये का इनाम भी रखा गया।

देहरादून- उत्तराखंड के इस स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को लोग कहते थे “कुमाऊं टाईगर”, इस उम्र में पहली बार गए जेल

1944 में उनको डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट में गैर हाजिरी पर 25 साल की कालापानी की सजा सुनाई गई। 1947 में देश की आजादी के बाद 1952 में मदन मोहन उपाध्याय सोशलिस्ट पार्टी की ओर से भारत के उत्तर प्रदेश की प्रथन विधानसभा में विधायक बने। इस दौरान उन्होंने कई विकास कार्य क्षेत्र के लिए करायें। 1 अगस्त 1978 को रानीखेत में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।