रायबरेली से सोनिया ने दाखिल किया नामांकन, फिरोज गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक नही मिली हार, वजह है बड़ी

रायबरेली-न्यूज टुडे नेटवर्क। लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सियासत के कई बड़े दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। ऐसे में यूपीए की चैयरपर्सन सोनिया गांधी ने अपनी परंपरागत सीट रायबरेली से आज नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है और मेगा रोड शो भी किया। रायबरेली की सीट कांग्रेस के लिए गढ़
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रायबरेली से सोनिया ने दाखिल किया नामांकन, फिरोज गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक नही मिली हार, वजह है बड़ी

रायबरेली-न्यूज टुडे नेटवर्क। लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सियासत के कई बड़े दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। ऐसे में यूपीए की चैयरपर्सन सोनिया गांधी ने अपनी परंपरागत सीट रायबरेली से आज नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है और मेगा रोड शो भी किया। रायबरेली की सीट कांग्रेस के लिए गढ़ मानी जाती हैं। गांधी परिवार का कोई भी प्रत्याशी इस सीट से चुनाव नहीं हारा है। सोनिया गांधी का रायबरेली से ये पांचवां लोकसभा चुनाव है। गौरतलब है कि सोनिया गांधी काा मुकाबला करने के लिए बीजेपी ने पूर्व कांग्रेस दिनेश प्रताप सिंह को उतारा है। दिनेश कांग्रेस नेता थे जिन्होंने पिछले साल अपने भाई के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे।

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सोनिया गांधी बोलीं 2004 मत भूलिए

यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने रायबरेली लोकसभा सीट से पांचवीं बार नामांकन दाखिल किया। नामांकन दाखिल करने के बाद सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चेतावनी देते हुए कहा कि 2004 मत भूलिए। उन्होंने यह भी कहा, ‘वाजपेयी भी अजेय थे लेकिन हम जीते।’ बता दें कि 2004 में सभी सियासी पंडितों के दावों को खारिज करते हुए कांग्रेस ने वाजपेयी सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था। लेिककन इस बार सोनिया गांधी की टक्कर बीजेपी के दिनेश शर्मा से होगी। सपा-बसपा गठबंधन ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। रायबरेली की सीट से पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने जीत हांसिल करने खाता खोला था। जिसके बाद से आज तक सोनिया गांधी तक से क्रम जारी है।

सोनिया के राजनीतिक सफर की शुरुआत

सोनिया गांधी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1999 में पहली बार अमेठी से की थी। इस सीट से राजीव गांधी चुनाव लड़ते थे। इसके बाद 2004 में सोनिया ने अमेठी की सीट राहुल गांधी के लिए छोड़ दी। सोनिया गांधी ने अपने लिए अपनी सास इंदिरा गांधी की सीट को चुनाव लडऩे के लिए तय किया। सोनिया गांधी 2004 से लगातार इस सीट से सांसद हैं। 2014 की मोदी लहर भी रायबरेली का किला नहीं ढहा पाई थी।

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क्या रहा 2014 का समीकरण

2014 के लोकसभा चुनाव में भी सोनिया गांधी इस सीट से करीब साढ़े तीन लाख वोटों से जीतने में कामयाब रहीं थी। सोनिया गांधी के खाते में 5,26,434 वोट पड़े थे। जिसमें बीजेपी के प्रत्याशी अजय अग्रवाल को करारी शिकस्त दी थी। इस सीत पर अब तक 16 बार लोकसभा के आम चुनाव और 2 बार उप चुनाव हुए हैं। जिसमें से 15 बार कांग्रेस तो वहीं 2 बार भाजपा (BJP) को जीत मिली है। इसके साथ ही 1 बार भारतीय लोकदल के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी।

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रायबरेली सीट का इतिहास

1957 में पहली बार फिरोज गांधी कांग्रेस की सीट पर जीतकर लोकसभा पहुंचे।
1962 में सीट दलित कोट में चली गई जिसके बाद कांग्रेस के बैजनाथ कुरील सांसद चुने गए
1967 में सीट फिर से सामान्य हुई तो इंदिरा गांधी इस सीट से चुनाव जीतीं और संसद भवन पहुंची , तभी ये सीट सुर्खियों में आई।
1972 में एक बार फिर अपने बढ़ते कद के साथ इंदिरा गांधी ने बड़ी जीत दर्ज की।
1977 में पहली बार इंदरा गांधी को भारतीय लोकदल के नेता राज नारायण के सामने हार का मुंह देखना पड़ा। हालांकि आपातकाल के चलते देश में सत्ता विरोधी आक्रोश था।
1980 में एक बार फिर इंदिरा गांधी मैदान में उतरी और शानदार वापसी करते हुए रिकार्ड मतों से जीतीं।
1984 और 1989 में जवाहर लाल नेहरु के भजीते अरुण कुमार यहां से सांसद चुने गए।
1989 और 1991 में कांग्रेस की शीला कौल ने शानदार जीत दर्ज की।
1996 और 1998 में बीजेपी के अशोक सिंह पहली बार इस सीट पर कमल खिलाने में सफल रहे।
1999 में कैप्टन सतीश शर्मा ने कांग्रेस की वापसी करवाते हुए शानदार जीत दर्ज की।
2004,2009 और 2014 में सोनिया गांधी ने लगातार इस सीट पर कब्जा बनाए रखा है।