कहीं उत्तराखंड में तो नहीं फैल रहा चमकी बुखार का प्रकोप, बच्चो के लिए बर्ते ये सावधानियां

बिहार में 150 से भी ज़्यादा बच्चों की जान ले चुके चमकी बुखार का खतरा उत्तराखंड खासकर के देहरादून में भी मौजूद है। बता दें कि मुजफ्फरपुर की तरह देहरादून की लीची भी मशहूर रही है। बड़े पैमाने पर आवासीय कॉलोनियां बनने के बावजूद यहां अब भी लीची के बागान मौजूद हैं। विशेषज्ञों की माने
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कहीं उत्तराखंड में तो नहीं फैल रहा चमकी बुखार का प्रकोप, बच्चो के लिए बर्ते ये सावधानियां

बिहार में 150 से भी ज़्यादा बच्चों की जान ले चुके चमकी बुखार का खतरा उत्तराखंड खासकर के देहरादून में भी मौजूद है। बता दें कि मुजफ्फरपुर की तरह देहरादून की लीची भी मशहूर रही है। बड़े पैमाने पर आवासीय कॉलोनियां बनने के बावजूद यहां अब भी लीची के बागान मौजूद हैं। विशेषज्ञों की माने तो ऐसे हालातों से निपटने के लिए ये बेहद जरूरी है कि लीची खाते समय कुछ सावधानियां बर्ती जाये। हालाकिं उत्तराखंड में चमकी बुखार का ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। लेकिन इस बुखार की आशंका से इनकार भी नहीं किया जा सकता। जानकारी मुताबिक बिहार में जो भी मासूम चमकी बुखार के शिकार हुए हैं वह बहुत कुपोषित बच्चे थे। अगर स्वस्थ बच्चे लीची खाएं तो यह बुखार नहीं होगा।

क्या है ‘चमकी बुखार’ के लक्षण

ये एक संक्रामक बीमारी है। इस बीमारी के वायरस शरीर में पहुंचते ही खून में शामिल होकर अपना प्रजनन शुरू कर देते हैं। शरीर में इस वायरस की संख्या बढ़ने पर ये खून के साथ मिलकर व्यक्ति के मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं। मस्तिष्क में पहुंचने पर ये वायरस कोशिकाओं में सूजन पैदा कर देते हैं। जिसकी वजह से शरीर का ‘सेंट्रल नर्वस सिस्टम’ खराब हो जाता है। चमकी बुखार में बच्चे को लगातार तेज बुखार चढ़ा रहता है। बदन में ऐंठन के साथ बच्चा अपने दांत पर दांत चढ़ाए रहता हैं। शरीर में कमजोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश होता रहता है। शरीर में कंपन के साथ बार-बार झटके लगते रहते हैं। यहां तक कि शरीर भी सुन्न हो जाता है।

कहीं उत्तराखंड में तो नहीं फैल रहा चमकी बुखार का प्रकोप, बच्चो के लिए बर्ते ये सावधानियां

क्या सावधानियां बरतें

विशेषज्ञों की माने तो चमकी बुखार की स्थिती न बनने देने में ये बेहद जरूरी है कि परिवार में बड़े ख़ासतौर पर यह ध्यान रखें कि धूप में खेलने के बाद बच्चे खाली पेट न सोएं। ऐसा बिल्कुल न हो कि बच्चे दिनभर लीची ही खाएं। शाम को तो बच्चों को पेटभर खाना लेना ही चाहिए। ऐसे इसलियें क्यों कि एईएस या चमकी बुखार में खाली पेट लीची खा लेने की वजह से बच्चों में शुगर लेवल बहुत कम हो जा रहा है और उसकी वजह से बिहार के कई ज़िलों में यह बुखार जानलेवा हो गया है।

कहीं उत्तराखंड में तो नहीं फैल रहा चमकी बुखार का प्रकोप, बच्चो के लिए बर्ते ये सावधानियां

बारिश होने के बाद मिलेगी राहत

डॉक्टरों की माने तो दो हफ़्ते में बारिश होने के बाद यह सब ख़त्म हो जाएगा और हम सबको मिलकर यह कोशिश करनी चाहिए कि ऐसा फिर न हो। देवभूमि उत्तराखंड को राहत है कि यहां चमकी बुखार के कदम नहीं पड़े हैं लेकिन ऐहतिहात बरतना सबके लिए बेहद ज़रूरी है।