..तो इस कारण से मायावती के पिता ने छोड़ा था साथ, करनी पड़ी थी साधारण नौकरी

लखनऊ-न्यूज टुडे नेटवर्क : बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपना 63वां जन्मदिन मनाया है। 15 जनवरी, 1956 को मायावती का जन्म दिल्ली में सरकारी कर्मचारी प्रभु दयाल और रामरती के घर पर हुआ था। पिता दूरसंचार विभाग में क्लर्क के पद पर तैनात थे। मां रामरती ने अनपढ़ होने के बाद भी बच्चों को शिक्षा देने
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..तो इस कारण से मायावती के पिता ने छोड़ा था साथ, करनी पड़ी थी साधारण नौकरी

लखनऊ-न्यूज टुडे नेटवर्क : बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपना 63वां जन्मदिन मनाया है। 15 जनवरी, 1956 को मायावती का जन्म दिल्ली में सरकारी कर्मचारी प्रभु दयाल और रामरती के घर पर हुआ था। पिता दूरसंचार विभाग में क्लर्क के पद पर तैनात थे। मां रामरती ने अनपढ़ होने के बाद भी बच्चों को शिक्षा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मायावती का असली नाम चन्द्रावती था और इसी नाम से उनकी पढ़ाई-लिखाई हुई थी, लेकिन जब वे कांशीराम के संपर्क में आईं और सक्रिय राजनीति में भाग लेने लगीं। उसी दौरान कांशीराम ने उनका नाम मायावती रख दिया। हालांकि राजनीति में कदम रखते ही उनके पिता ने उनका साथ छोड़ दिया था। आइए जानते हैं मायावती के जीवन से जुड़े कुछ खास बातों के बारे में….

..तो इस कारण से मायावती के पिता ने छोड़ा था साथ, करनी पड़ी थी साधारण नौकरी

मायवती के पिता दूर संचार में थे क्लर्क

मायावती का जन्म उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर के बादलपुर गांव में हुआ था। उनके पिता प्रभु दयाल जी दूरसंचार विभाग में क्लर्क के पद पर तैनात थे। वे बचपन से ही अपनी बेटी को कलेक्टर बनाना चाहते थे। उन्होंने अपनी ग्रैजुएशन कंप्लीट करने के बाद एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। इसके अलावा उन्होंने बीएड भी किया हुआ है। मायावती के 6 भाई और 2 बहनें हैं। मायावती अनमैरिड है और उनके समर्थक उन्हें बहन जी कहकर पुकारते हैं।

करियर की शुरूआत में की टीचर की नौकरी

मायावती ने अपने करियर की शुरूआत एक टीचर के रूप में की। इस दौरान वे सिविल सर्विस एग्जाम की भी तैयारी की। वे दिल्ली एक स्कूल में पढ़ाती थीं। 1977 में मायावती, कांशीराम के सम्पर्क में आयीं। वहीं से उन्होंने एक नेत्री बनने का फैसला किया। कांशीराम के संरक्षण में 1984 में बहुजन समाजवादी पार्टी की स्थापना के दौरान वह काशीराम की टीम का हिस्सा रहीं।

..तो इस कारण से मायावती के पिता ने छोड़ा था साथ, करनी पड़ी थी साधारण नौकरी

कैराना सीट से लड़ा था पहला चुनाव

पहली बार उन्होंने अपना पहला चुनाव मुजफ़्फरनगर के कैराना लोकसभा सीट से लड़ा था। 3 जून 1995 को मायावती पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और उन्होंने 18 अक्टूबर 1995 तक राज किया। बतौर मुख्यमंत्री दूसरा कार्यकाल 21 मार्च 1997 से 21 सितंबर 1997 तक, तीसरा कार्यकाल 3 मई 2002 से 29 अगस्त 2003 तक और चौथी बार 13 मई 2007 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद ग्रहण किया। इस बार उन्होंने पूरे पांच साल तक राज किया, लेकिन 2012 में समाजवादी पार्टी से हार गईं।

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गेस्ट हाउस कांड ने बदली मायावती की जिंदगी

  • साल 1993 में बसपा और सपा का गठबंधन हुआ। इस गठबंधन ने चुनाव जीता और समझौते के तहत मुलायम सिंह यूपी के सीएम बने। आपसी खींचतान के चलते 2 जून, 1995 को बसपा ने सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा कर दी।
  •  इससे मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई। इस बात से नाराज होकर सपा के वर्कर्स सांसदों और विधायकों के नेतृत्व में मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पहुंचे और उसे घेर लिया। मायावती कमरा नंबर 1 में रुकी थीं और यहां बसपा के विधायक और वर्कर्स भी मौजूद थे। उन्हें सपा वर्कर्स ने मारपीट कर बंधक बना लिया। मायावती ने अपने आप को बचाने के लिए कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।
  • उस वक्त वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं, ”सपा वर्कर्स समर्थन वापासी से इतने नाराज थे कि वे गेस्ट हाउस में आग लगाने की तैयारी से आए थे। सपा समर्थकों ने जब देखा कि मायावती ने कमरा अंदर से बंद कर लिया है तो उन्होंने गेस्ट हाउस का दरवाजा तोडऩे की कोशिश की।”
  •  ”करीब 9 घंटे बंधक बने रहने के बाद बीजेपी नेता लालजी टंडन ने अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचकर मायावती को सुरक्षित बाहर निकाला। इस घटना के बाद से मायावती, लालजी टंडन को अपना भाई मानने लगीं। इसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में मायावती बीजेपी के समर्थन से यूपी की सीएम बनीं।”