पर्यटकों को प्रभावित करने वाली लिपुलेख की गगनचुंबी पहाड़ियां, देखिए नाले और मौसम का मिजाज

भारत-नेपाल के बीच सीमा विवाद के दौरान लिपुलेख लगातार चर्चा में हैं लिपुलेख रोड का काम बीते 12 सालों से चल रहा था और जब ये पूरा हुआ तो भारत की चीन बॉर्डर पर सीधी पहुंच हो गई है। लिपुलेख पहुंचने का सफर चुनौती भरा है यहां पर जाने के लिए खतरनाक गगनचुंबी पहाड़ियों सामना
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पर्यटकों को प्रभावित करने वाली लिपुलेख की गगनचुंबी पहाड़ियां, देखिए नाले और मौसम का मिजाज

भारत-नेपाल के बीच सीमा विवाद के दौरान लिपुलेख लगातार चर्चा में हैं लिपुलेख रोड का काम बीते 12 सालों से चल रहा था और जब ये पूरा हुआ तो भारत की चीन बॉर्डर पर सीधी पहुंच हो गई है। लिपुलेख पहुंचने का सफर चुनौती भरा है यहां पर जाने के लिए खतरनाक गगनचुंबी पहाड़ियों सामना करना होता है। वहीं मालपा से बूंदी जाने के लिए 12 किलोमीटर का कठिन मार्ग है जिसका सामना करने के लिए एक मजबूत कलेजे की आवश्यकता है।

पर्यटकों को प्रभावित करने वाली लिपुलेख की गगनचुंबी पहाड़ियां, देखिए नाले और मौसम का मिजाज
लिपुलेख की गगनचुंबी पहाड़ियां

दरअसल इस रास्ते पर एक पानी के नाले होकर गुजर पड़ता है। जिसमें पानी का बहाव काफी तेज होता है। इस नाले को पार करना बहुत चुनौती भरा हो सकता है। क्योकि लिपुलेख हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है जो एक विवादित क्षेत्र है जो नेपाल के दार्चुला जिला ब्यास गाँउपालिका मे है। येह क्षेत्र भारत के उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र को तिब्बत के तकलाकोट पुरंगद्ध शहर से जोड़ता है। यह प्राचीनकाल से व्यापारियों और तीर्थयात्रियों द्वारा भारत और तिब्बत के बीच आने-जाने के लिये प्रयोग किया जा रहा है। यह दर्रा भारत से कैलाश पर्वत व मानसरोवर जाने वाले यात्रियों द्वारा विशेष रूप से इस्तेमाल होता है।