इस शायर ने अस्पताल में लेटे-लेटे अपनी प्रेमिका के लिए लिख डाले 80 शेर

जाने माने शायर फिराक गोरखपुरी की 1943 में एक बार काफी तबियत खराब हो गई। इस कारण उन्हें इलाहाबाद के एक सिविल अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। उस दौरान करीब छह महीने पहले एक युवती से उन्हें ताजा-ताजा प्रेम हुआ था। फिराक साहब के अस्पताल में भर्ती होने की खबर सुनकर उनकी प्रेयसी दौड़े-दौड़े देखने
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इस शायर ने अस्पताल में लेटे-लेटे अपनी प्रेमिका के लिए लिख डाले 80 शेर

जाने माने शायर फिराक गोरखपुरी की 1943 में एक बार काफी तबियत खराब हो गई। इस कारण उन्हें इलाहाबाद के एक सिविल अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। उस दौरान करीब छह महीने पहले एक युवती से उन्हें ताजा-ताजा प्रेम हुआ था। फिराक साहब के अस्पताल में भर्ती होने की खबर सुनकर उनकी प्रेयसी दौड़े-दौड़े देखने चली आईं। उन्हें अस्पताल में देखकर वे भी द्रवित हो गए और कई नज्म उनके दिमाग में घूमने लगीं। इसके बाद अस्पताल में पड़े-पड़े ही करीब 80 शेर उन्होंने लिख डाले।

जिसमें से इस नज्म ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं-

यह कौन मुस्कुराहटों का कारवां लिए हुए
शबाबों-शेरो-रंगों-नूर का धुआं लिए हुए

धुआं के बर्के-हुस्न का लहकता शोला है कोई
चुटीली जिंदगी की शादमानियां लिए हुए

लबों से पंखुड़ी गुलाब की हयात मांगे है
कंवल- सी आंख सौ निगाहे-ए-मेहरबां लिए हुए