जानिए कैसे मिलता है साहित्य अकादमी का पुरस्कार, क्या होनी चाहिए योग्यता

भारत एक ऐसा देश है जहाँ आप भाषा और संस्कृति में विविधता देख सकते है। भारत में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं जो विभिन्न भाषाएं बोलते हैं। हमारे देश में हर साल लोगों को अलग-अलग पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है और ये उनके लिए है जिन्होंने कुछ हासिल किया है या किसी तरीके
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जानिए कैसे मिलता है साहित्य अकादमी का पुरस्कार, क्या होनी चाहिए योग्यता

भारत एक ऐसा देश है जहाँ आप भाषा और संस्कृति में विविधता देख सकते है। भारत में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं जो विभिन्न भाषाएं बोलते हैं। हमारे देश में हर साल लोगों को अलग-अलग पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है और ये उनके लिए है जिन्होंने कुछ हासिल किया है या किसी तरीके से समाज में सेवा प्रदान की हो। एक ऐसे ही पुरस्कार है साहित्य अकादमी जो प्रमुख भाषाओं में सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति के लिए प्रदान किया जाता है। सन 1955 में सबसे पहले यह पुरस्कार साहित्यकार को प्रदान किया गया था। यह साहित्यिक कृति का पुरस्कार कुल 24 भाषाओं को लिए दिया जाता है जिसमें अंग्रेजी भी शामिल है।

माखनलाल चतुर्वेदी को मिला था सबसे पहला साहित्य अकादमी पुरस्कार
साहित्य अकादमी पुरस्कार की स्थापना 1955 को हुई थी। इसका पहला सम्मान महान लेखक माखनलाल चतुर्वेदी को दिया गया था।उन्हें उनकी कविता हिम तरंगिनी के लिए इस पुरस्कार के लिए चुना गया था। यह पुरस्कार 24 भाषाओं में दिया जाता है। साहित्य अकादमी पुरस्कार का मुख्य केंद्र दिल्ली में है। आज इस पुरस्कार के कई और कार्यालय हैं जैसे की कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई।

साहित्य अकादमी पुरस्कार की कुछ विशेषताएं निम्न हैं-
-साहित्यिक सम्मान में दिए जाना वाला यह दूसरा ऐसा सर्वोच्च सम्मान है और इससे पहले साहित्य अकादमी फैलोशिप है।
-इस पुरस्कार के तहत एक पट्टिका और नकद दिया जाता है। इसकी पट्टिका का डिजाइन लोकप्रिय फिल्म निर्माता सत्यजीत रे ने बनाया था।
-शुरुआत में पांच हजार रुपये नकद दिए जाते थे जो 1983 में दस हजार रूपये कर दिए गए और 1988 में 25 हजार रुपये, 2001 से 40 हजार रूपये कर दिया गया और 2003 से 50 हजार रूपये कर दिए गए। इसके बाद अब इस पुरस्कार के तहत एक लाख रूपये दिए जाते हैं।
-साहित्य अकादमी के तहत पुस्तकें कुल २४ भाषाओं में प्रकाशित होती है। यह पुस्तकें लेखकों के मोनोग्राफ, इतिहास, अनुवाद, उपन्यास, कविता और गद्य, आत्मकथाओं के आधार पे होती है।
– साहित्य अकादमी पुरस्कार का उद्देश्य भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन करना है जिससे और भी लोग इससे प्रभावित हो साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान करने वाले साहित्यकारों को उनके अद्भुत लेख के लिए यह सम्मान दिया जाता है।
– हर वर्ष एक सप्ताह भर का साहित्योत्सव आयोजित होता है जिसमें पुरस्कार वितरण समारोह, संवत्सर भाषण माला और राष्ट्रीय संगोष्ठी होती है। यह समारोह अधिकतर फरवरी माह में होता है।
-इस आयोजन के तहत हर वर्ष 24 भाषाओं के लेखकों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। प्रत्येक वर्ष श्रेष्ठ महिला साहित्यकार को फैलोशिप भी प्रदान की जाती है जिसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को इस क्षेत्र में बढ़ावा देना है।

साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने के लिए निम्न नियम को फॉलो करना होता है-

– किसी भी पुस्तक को पुरस्कार के विचारार्थ होने के लिए संबद्ध भाषा तथा साहित्य में योगदान होना चाहिए। पुस्तक को सर्जनात्मक या समालोचनात्मक होना चाहिए तो ही कार्य मंडल उसे विचारणीय करेंगे।
– यदि कोई कृति लेखक के मृत्यु के बाद प्रकाशित हुई तो सिर्फ तीन वर्ष के लिए ही विचारणीय होगी।
– यदि कार्यकारी मंडल को ऐसा लगता है या सबूत प्राप्त होते है की प्रतिष्ठित करने के लिए समर्थन जुटाया गया है तो ऐसी पुस्तक पुरस्कार के लिए अयोग्य होगी।
-ऐसी पुस्तक जो की पूर्व प्रकाशित पुस्तकों के संग्रह या रचनाओं के आधार पर लिखी गयी है वे मंडल द्वारा अयोग्य होगी। यदि कोई नयी लिखित पुस्तक में 75: भाग पहली बार ही प्रकाशित हुआ है तो वह पुस्तक पुरस्कार विचारणीय होगी। ऐसी पुस्तक जो किसी प्रकाशित पुस्तक का बेस हो लेकिन खुद में पूर्ण हो तो वह भी पुरस्कार के लिए चयन की जा सकती है।
यदि कोई पुस्तक पहले से ही साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार ने लिखी है या तो अकादमी के कार्यकारी मंडल का सदस्य है तो वह पुरस्कार के लिए चयन नहीं होगी। यदि कोई अनूदित कृति है या तो फिर विश्वविद्यालय या परीक्षा के लिए तैयार किया गया है वे भी पुरस्कार के लिए अयोग्य होगी।

साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान करने के लिए निम्न प्रक्रिया से गुजरना होता है-
-वर्ष के शुरुआत में ही प्रत्येक भाषा की मान्यता प्राप्त साहित्यिक संस्थाओं से संस्तुतियाँ निर्धारित प्रपत्र को भेजने का अनुरोध किया जाता है लेकिन ये तीन से अधिक नहीं होना चाहिए।
2(प) सभी भाषा के परामर्श मंडल एक व्यक्ति को चाहेंगे जिसे तय की गई अवधि में एक सूचि तैयार करनी होगी जिसमें प्रकाशित अनूदित कृतियों के शीर्षक होंगे उस व्यक्ति को सुनमेमी द्वारा निर्धारित राशि प्रदान की जाएगी लेकिन किसी कारण से ये सूचि तैयार न हो पाए तो अध्यक्ष दूसरे व्यक्ति को नियुक्त करेगा।
3(प)संदर्भित पत्र समस्त भाषा परामर्श मंडल को भेजा जान चाहिए और साथ ही उन्हें अपनी संस्तुतियाँ को निर्धारित प्रपत्र के अनुसार भेजी जनि चाहिए।
3(पप)क्षेत्रीय सचिव परामर्श मंडल के सदस्य को आधारदृसूची पिछले वर्ष की आधारदृसूची सहित दी जाएगी।
धारा 3(प) और 3(पप) के अनुसार प्राप्त संस्तुतियाँ को संकलित कर नियम के आधार पे ४(प)समिति के समक्ष
धारा 3(पप)निष्पादन हेतु के साथ आधारदृष्टि सूची के लिए भी प्रस्तुत की जाती है।

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जूरी पुस्तक का चयन कैसे करती है?
– प्रारंभिक पैनल द्वारा अनुशंसित पुस्तक खरीद कर उन्हें अकादमी के संयोजक और साथ ही जूरी के सदस्यों को भेजी जाती है।
– जूरी के सदस्य सर्वसम्मति या तो फिर बहुमत के आधार पे पुस्तक का चयन करेगी जिसे पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। यदि जूरी को एक भी पुस्तक सही नहीं लगती तो किसी की भी पुरस्कार नहीं दिया जायेगा।
– इस पुरस्कार ले लिए एक संयोजक को भी नियुक्त किया जाता है जो सुनिश्चित करते है की जूरी की बैठक उचित और संतोषजनक रूप से संपन्न हो और साथ ही जूरी की रिपोर्ट पे अपने हस्ताक्षर करते है।