सडक़ दुर्घटना में घायलों को अस्पताल पहुंचाने पर मिलेगा 5000 रुपये इनाम, नहीं होगी कोई पूछताछ
सडक़ दुर्घटना होने पर अगर आप किसी घायल व्यक्ति को अस्पताल तक पहुंचाते हैं तो आपको न सिर्फ पुलिस पूछताछ से मुक्ति मिलेगी, बल्कि प्रोत्साहन के रूप में आपको 5000 रुपये की प्रोत्साहन धनराशि (गुड सैमेरिटन) भी मिलेगी। सडक़ दुर्घटना में घायल व्यक्ति के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता पैदा करने के मकसद से एक प्रशंसनीय फैसला पुडुचेरी में सरकार ने लिया है, यह ऐसा पहला राज्य होगा। सडक़ दुर्घटना में घायलों को अस्पताल पहुंचाने वाले मददगारों को 5 हजार रुपए का इनाम दिया जाएगा। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय के भी आदेश हैं कि घायल को अस्पताल तक पहुंचाने वाले वाहन चालक व मालिक से पूछताछ नहीं की जाएगी।
पुडुचेरी के मुख्यमंत्री की घोषणा
पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने विधानसभा में 2019-20 का बजट पेश करते हुए इसकी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना को लागू करने के लिए दिशा-निर्देश जल्द ही अधिसूचित किए जाएंगे। सरकार इस योजना में फस्र्ट रेस्पॉन्डर व्हिकल भी लांच करेगी।
दिल्ली सरकार कराती है घायलो का मुफ्त इलाज
इसके अलावा दिल्ली सरकार ने भी वर्ष 2018 में सडक़ दुर्घटना, एसिड अटैक और जलने के मामलों में घायल होने वालों को मुफ्त इलाज देने की घोषणा की थी और अगर कोई व्यक्ति घायल को किसी अस्पताल में भर्ती कराता है तो वहां पर उसका व्यक्ति का नाम, पता और मोबाइल नंबर लिख लिया जाता है। बाद में सरकार की ओर से संपर्क कर संबंधित व्यक्ति को 2000 रुपये इनाम दिया जाता है। हालांकि कई लोग सडक़ हादसों में घायल होने वालों की मदद में आगे रहते हैं और इसके बदले में कोई इनाम भी नहीं लेना चाहते।
उत्तर प्रदेश सरकार भी देती है इनाम और सम्मान
इसी तरह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी घायलों को अस्पताल पहुंचाने वालों को इनाम से सम्मानित किया जाता है। इसमें उपचार के लिए सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में घायल को पहुंचाने वाले वाहन चालक को वहां के रजिस्टर में अपना नाम व पता अंकित कराना होता है। उसके बाद अस्पताल से उसे प्रमाण पत्र दिया जाता है। इसे परिवहन विभाग में जमा करना पड़ता है और बाद में पुरस्कार राशि संबंधित जिलाधिकारी के माध्यम से मददगार के खाते में जमा कर दी जाती है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट भी घायलों की मदद करने वाले किसी प्रकार के कानूनी पचड़े में न फंसे इसके लिए व्यवस्था दे चुका है कि उन्हें नाम-पता पूछकर जाने दिया जाए। अस्पताल घायलों को पहुंचाने वालों से कोई फीस नहीं लेगा और न उन्हें बेवजह रोकेगा और मदद करने वाले शख्स की कोई आपराधिक जिम्मेदारी नहीं होगी।