नई दिल्ली- फिल्म इंडस्ट्री ने ऐसे जताया दुख,पाकिस्तान में नहीं रीलीज होंगी भारतीय फिल्म!

नई दिल्ली- न्यूज टुडे नेटवर्क: कश्मीर के पुलवामा में हुए सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमले की देशभर में भर्त्सना की जा रही है। इस हमले में देश के 44 जवान शहीद हुए है। जबकि 40 से अधिक घायल हुए हैं। इस घटना की ज़िम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है, जिसे पाकिस्तान की सरपरस्ती
 | 
नई दिल्ली- फिल्म इंडस्ट्री ने ऐसे जताया दुख,पाकिस्तान में नहीं रीलीज होंगी भारतीय फिल्म!

नई दिल्ली- न्यूज टुडे नेटवर्क: कश्मीर के पुलवामा में हुए सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमले की देशभर में भर्त्सना की जा रही है। इस हमले में देश के 44 जवान शहीद हुए है। जबकि 40 से अधिक घायल हुए हैं। इस घटना की ज़िम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है, जिसे पाकिस्तान की सरपरस्ती हासिल है। यही वजह है कि पूरे देश में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भी काफ़ी रोष व्याप्त है। बता दें जहां एक ओर घटना के बाद से देश के लोगो में पाकिस्तान को लेकर गुस्सा है। वही इस आतंकी हलमें ने भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री को भी झकझोर दिया है।

नई दिल्ली- फिल्म इंडस्ट्री ने ऐसे जताया दुख,पाकिस्तान में नहीं रीलीज होंगी भारतीय फिल्म!

कलाकार और फ़िल्मकार आतंकी घटना की पुरज़ोर मज़म्मत करने के साथ बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। मगर, हैरत की बात यह है कि बॉलीवुड फ़िल्मों में काम करके अपना बैंक बैलेंस मज़बूत करने वाले एक भी पाक फ़िल्म एक्टर ने पुलवामा हमले की निंदा में एक लफ़्ज़ नहीं लिखा या कहा है।

भारतीय फिल्म पाकिस्तान में न हो रीलीज़

आपको बता दें कि उरी अटैक के वक़्त भी किसी पाक कलाकार ने आतंकी हमलों के ख़िलाफ़ अपना मुंह नहीं खोला था। बस फ़वाद ख़ान ने हमले के कुछ दिन बाद फेसबुक पर एक नोट लिखकर घटना की निंदा की थी। वही जानकारों की माने तो ऐसे हालात में पाकिस्तान में भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री के साथ सभी संबंध ख़त्म होने चाहिए। अपनी फ़िल्मों को वहां रिलीज़ करने का लालच भी छोड़ना होगा।

पुलवामा आतंकी हमलों के बाद भारतीय फ़िल्म कलाकार भी पाकिस्तानी कला जगत को कड़ा संदेश देना चाहते हैं कि मोहब्बत एकतरफ़ा नहीं चल सकती। इसीलिए वेटरन राइटर जावेद अख़्तर और एक्ट्रेस शबाना आज़मी ने कराची आर्ट काउंसिल की तरफ़ से कैफ़ी आज़मी के सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम रद्द कर दिया है, जिस पर पाकिस्तान की एक पत्रकार ने इसे शर्मनाक बताते हुए जावेद से पूछा कि इसमें कला से जुड़े लोगों का क्या दोष है।

जावेद अख़्तर ने जवाब दिया कि उनसे अपसेट होने के बजाय उन्हें अपने हुक्मरानों से पूछना चाहिए, जो मसूद अज़हर जैसे आतंकियों को संरक्षण दे रहे हैं और उन्हें पाल पोस रहे हैं। जिन्होंने मेरे शहर में क़साब को भेजा। अगर आपकी छवि इतनी बिगड़ चुकी है तो उसके लिए वे लोग ही ज़िम्मेदार हैं, कोई और नहीं।