प्रयागराज : 2019 मकर संक्रांति से प्रारम्भ होगा कुंभ मेला, जानिए क्या कुंभ स्नान की शाही तिथियां

प्रयागराज-न्यूज टुडे नेटवर्क। कुंभ मेला हिंदू धर्म में एक मेले की तरह नहीं, बल्कि पर्व की तरह मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर लोगों में भी काफी आस्था है। लोगों में ऐसी मान्यता है कि इस दौरान पवित्र गंगा में नहाने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। कुंभ मेला हर 12 साल पर
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प्रयागराज : 2019 मकर संक्रांति से प्रारम्भ होगा कुंभ मेला, जानिए क्या कुंभ स्नान की शाही तिथियां

प्रयागराज-न्यूज टुडे नेटवर्क। कुंभ मेला हिंदू धर्म में एक मेले की तरह नहीं, बल्कि पर्व की तरह मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर लोगों में भी काफी आस्था है। लोगों में ऐसी मान्यता है कि इस दौरान पवित्र गंगा में नहाने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। कुंभ मेला हर 12 साल पर आता है। दो बड़े कुंभ पर्वों के बीच एक अर्धकुंभ मेला भी लगता है। 2019 में आने वाला कुंभ मेला दरअसल अर्धकुंभ ही है। हालांकि प्रशासन और सरकार ने कहा है कि इसे अर्धकुंभ नहीं, बल्कि कुंभ के नाम से जाना जाएगा और इसको लेकर कुंभ जैसी तैयारियां चल रही है। अगले साल यानि 2019 में संगम नगरी प्रयागराज (इलाहाबाद) में लगने वाले कुंभ मेले के शाही स्नान की तिथिओं की घोषणा हो चुकी है। प्रथम शाही स्नान 14 जनवरी को आरंभ होगा, और करीब 50 दिनों तक चलेगा।
हिंदू धर्म में कुंभ मेला एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाया जाता है, जिसमें देश-विदेश से सैकड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल हरिद्वार, इलाहाबाद, उज्जैन और नासिक में स्नान करने के लिए एकत्रित होते हैं। कुंभ का संस्कृत अर्थ कलश होता है।

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मकर संक्रांति से आरंभ होता है कुंभ मेला

हिंदू धर्म के अनुसार भारत में कुंभ का पर्व 12 वर्ष के अंतराल पर होता है। दो कुंभ मेलों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है। प्रयागराज (इलाहाबाद) में कुंभ का मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है। इस दिन जो योग बनता है उसे कुंभ शाहीस्नान योग कहते हैं।

कुंभ में स्नान करने से मोक्ष की होती है प्राप्ति

हिंदू धर्म के अनुसार मान्यता है कि किसी भी कुंभ मेले में पवित्र नदी में स्नान या तीन डुबकी लगाने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मानव को जन्म-पुनर्जन्म तथा मृत्यु मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रथम वर्ष संगम नगरी प्रयागराज (इलाहाबाद) में लगने वाले कुंभ मेले के शाही स्नान की तिथिओं की घोषणा हो चुकी है। यदि आप भी अगले साल कुंभ मेले में स्नान करने की सोच रहे हैं तो यहां जानें शाही स्नान की तिथियां…..

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2019 कुंभ मेले की शाही स्नान की तिथियां-

14-15 जनवरी 2019 : मकर संक्रांति (प्रथम शाही स्नान)
21 जनवरी 2019 : पौष पूर्णिमा स्नान
31 जनवरी 2019 : पौष एकादशी स्नान
04 फरवरी 2019 : मौनी अमावस्या (मुख्य शाही स्नान, दूसरा शाही स्नान)
10 फरवरी 2019 : बसंत पंचमी (तीसरा शाही स्नान)
16 फरवरी 2019 : माघी एकादशी स्नान
19 फरवरी 2019 : माघी पूर्णिमा स्नान
04 मार्च 2019 : महाशिवरात्री स्नान

वर्ष 2019 का अर्धकुंभ 50 दिनों का होगा, जो 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन से आरंभ होकर 4 मार्च महाशिवरात्रि तक चलेगा। कुंभ स्नान का अदभुत सुयोग इस बार तीस वर्षों बाद बन रहा है जो दुर्लभ एवं प्रभावकारी है।

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शाही स्नान का महत्व

शाही स्नान का कुंभ मेले में काफी महत्व होता है। शाही स्नान सबसे पहले अखाड़े के साधु करते हैं, इनके बाद ही आम आदमी पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान कर सकते हैं। इसके लिए आम लोग सुबह 3 बजे से ही लाइन लगा लेते हैं और साधुओं के स्नान के बाद नहाने जाते हंै।

अखाड़ा और साधु

अखाड़े वो स्थान होते हैं जहां धार्मिक संगठन मिलते हैं, इनमें अधिकतर साधु होते हैं। शिव की पूजा करने वाले अखाड़े का नाम शैव अखाड़ा होता है। जबकि भगवान विष्णु को पूजने वाले साधुओं के अखाड़े का नाम वैष्णव अखाड़ा होता है। यहां आपको नागा, अघोरी जैसे कई तरह के साधु मिल जाएंगे। इन साधुओं के बारे में देखने और समझने का यह सबसे अच्छी जगह है।

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सत्संग और कथाएं

कुंभ मेले के दौरान आपको जगह-जगह सत्संग होते हुए मिल जाएंगे। कई साधु सन्यासी हिंदू धर्म के बारे में प्रवचन देते हुए मिलेंगे। यहां कई आश्रम होते हैं जहां आप जब चाहें बैठकर सत्संग सुन सकते हैं। हिन्दू धर्म को करीब से समझने का यह सुनहरा मौका होता है, क्योंकि प्रवचन दे रहे साधु सन्यासियों को हिन्दू धर्म की काफी जानकारी होती है। साथ ही हर पंडाल में भगवतकथा, रामकथा और विभिन्न ग्रंथों का पारायण भी चलता रहता है।

प्रसाद, भोजन और लंगर

कुंभ में हजारों पंडाल लगते हैं। हर पंडाल में सुबह शाम प्रसाद की व्यवस्था होती है। हजारों साधु, भक्त और कुंभ में आने वालों को इस दौरान खाने-पीने की कोई समस्या नहीं होती हैं क्योंकि जगह-जगह लंगर चल रहे होते हैं, इनमें साधु सन्यासियों के साथ आम आदमी को भी भोजन कराया जाता है। कुंभ में भोजन का कोई शुल्क नहीं लगता है।

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कुम्भ मेले का विशेष महत्व

  • जहां कहीं भी पानी के दो निकाय एक खास बल के साथ मिलते हैं, वहां पानी का मंथन होने लगता है। जैसा कि आपको पता है हमारे शरीर में भी 72 प्रतिशत पानी है। तो यह शरीर जब किसी विशेष समय और नक्षत्र में वहां पर होता है तो उसे अधिकतम लाभ मिलता है। प्राचीन समय में हर किसी को ये पता था कि 40 दिनों के मंडल के समय यदि आप कुंभ में रुकें और हर दिन आप अपनी साधना के साथ उस जल में जाएं, तो आप अपने शरीर को अपने मनोवैज्ञानिक तंत्र को अपने ऊर्जा तंत्र को रूपांतरित कर सकते हैं।

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  • इसके अलावा आपको उन 40 दिनों में ही अपने भीतर अदभुत आध्यात्मिक प्रगति का अनुभव होगा। आज यह महत्वपूर्ण है कि हम हर किसी के लिए कम से कम 40 दिनों की साधना का एक कार्यक्रम तय कर दें। आप जहां कहीं भी हैं, बस 40 दिन तक रोजाना 10 से 12 मिनट की साधना कीजिए और उसके बाद कुंभ में आकर स्नान कीजिए।
  • इससे बहुत प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि इसकी अपनी ही महत्ता है। प्रश्न यह है कि किसी विशेष स्थान पर कोई विशेष ऊर्जा उपस्थित है तो क्या आपके पास उसे ग्रहण करने की क्षमता है? क्या आप उसका अनुभव करने योग्य आपके ऊर्जा भीतर है ? अगर आप इसे अनुभव नहीं कर सकते तो आप कहीं भी हों, सब बेकार है।