Poverty: लॉकडाउन में पढ़े-लिखों की मजबूरी, करवा रही है मजदूरी

Bareilly: कोरोना वायरस (Corona Virus) के कारण देशभर में आर्थिक संकट छा गया है। वही पढ़े लिखे युवाओं की नौकरी जाने से उनकी जिंदगी उलट गई है। जिन बच्चों के माता-पिता उनके अच्छे भविष्य के लिए कोई फायदा नहीं आने दे रहे थे, वहीं अब लॉकडाउन में सब निराश बैठे हैं। देश में लॉकडाउन के
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Poverty: लॉकडाउन में पढ़े-लिखों की मजबूरी, करवा रही है मजदूरी

Bareilly: कोरोना वायरस (Corona Virus) के कारण देशभर में आर्थिक संकट छा गया है। वही पढ़े लिखे युवाओं की नौकरी जाने से उनकी जिंदगी उलट गई है। जिन बच्चों के माता-पिता उनके अच्छे भविष्य के लिए कोई फायदा नहीं आने दे रहे थे, वहीं अब लॉकडाउन में सब निराश बैठे हैं। देश में लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी बढ़ने से सरकार के सामने एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है।
Poverty: लॉकडाउन में पढ़े-लिखों की मजबूरी, करवा रही है मजदूरी
लॉकडाउन (Lockdown) से उत्पन्न हुई बेरोजगारी से हालात ऐसे हो गए हैं कि अब पढ़े-लिखे युवा भी सावरा उठाकर मनरेगा की ओर खुदाई करने जा रहे हैं। जानकर हैरत होगी कि इसमें प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों (professional courses) के छात्र भी शामिल हैं, जो एमएससी कृषि, बीएससी कृषि और बीबीए जैसे कोर्स कर रहे हैं। बता दें कि इस संकट की घड़ी में मनरेगा ही रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम बनकर सामने आया है।

बरेली कॉलेज से बीबीए अंतिम वर्ष कर रहे हैं मुहम्मद नाजिम ने बताया कि “मेरी परीक्षाएं लंबित हैं। लॉकडाउन में पहले खेतों में मजदूरी की। दस दिन से मनरेगा में काम कर रहा हूं। मैं जानता हूं कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। इसलिए परिवार के भरण-पोषण के लिए मैंने कुछ भी काम करने का निर्णय लिया।”