पूर्व वित्त मंत्री (arun jaitley)अरुण जेटली का 66 वर्ष की उम्र में निधन, एम्स में ली आखिरी सांस
Arun jaitely news बीजेपी अभी सुषमा स्वराज के अचानक मौत से उबर भी नहीं पाई थी कि पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता अरुण जेटली ने आज एम्स (aiims) में अंतिम सांस ली। जेटली 9 अगस्त से एम्स में भर्ती थे। आज अरुण जेटली ने शनिवार दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर अंतिम सांस ली। पेशे से वकील जेटली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में उनकी कैबिनेट का महत्वपूर्ण हिस्सा थे। उनके पास वित्त और रक्षा मंत्रालय का प्रभार था और सरकार के लिए वह संकटमोचक की भूमिका में रहे। खराब स्वास्थ्य के कारण जेटली ने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा अरुण जेटली के निधन से भाजपा को बड़ी क्षति पहुंची है।
अपने खराब स्वास्थ्य के चलते ही उन्होंने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में शामिल होने से इनकार कर दिया था। बीजेपी के एक समय के मिस्टर भरोसेमंद नेता रहे जेटली के मौत पर पार्टी के नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक में शोक की लहर दौड़ गई है। वे अटल सरकार से लेकर मोदी सरकार तक महत्वपूर्ण मंत्री पद को नवाजा। उन्होंने 21 वीं सदी के new india को बनाने में भी योगदान दिया। बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शामिल अरुण जेटली भले ही एक भी लोकसभा चुनाव नहीं जीते हो लेकिन 90 के दशक से ही पार्टी को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में अथक मेहनत किया। जिसका नतीजा रहा कि भगवा पार्टी केंद्र में भी सरकार बनाने में सफल रही है।
दिल्ली में जन्मे थे पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली
अरुण जेटली का जन्म 28 दिसम्बर 1952 को दिल्ली में ही हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल, दिल्ली से की। उसके बाद श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स दिल्ली से स्नातक की। इसी दौरान दिल्ली विश्वविधालय के छात्र संगठन के अध्यक्ष भी रहे। जहां से वे एभीबीपी से जुड़े। उसके बाद 1980 में बीजेपी से जुडऩे के बाद फिर पीछे मुडक़र नहीं देखा। जल्द ही जेटली अटल बिहारी और लालकृष्ण आडवाणी के चहेते बन गए। जेटली पर पार्टी ने भी भरोसा जताया। उनके तार्किक विचार के कायल तो अटल बिहारी भी रहे। एक होनहार, विचारवाण जेटली को हमेशा शालीन व्यवहार के लिए भी याद किया जाएगा।
सितंबर 2014 में हुई थी बैरिएट्रिक सर्जरी
लंबे समय तक डायबिटीज रहने से वजन बढऩे के कारण सितंबर 2014 में उन्होंने बैरिएट्रिक सर्जरी कराई थी। पिछले साल 14 मई को एम्स में उनके गुर्दे का प्रत्यारोपण हुआ था। उस समय रेल मंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी। पिछले साल अप्रैल की शुरुआत से ही वह कार्यालय नहीं आ रहे थे और वापस 23 अगस्त 2018 को वित्त मंत्रालय आए।