पिथौरागढ़ के टैक्सी चालक की बेटी ने रचा इतिहास, विश्व में ऐसे लहराया उत्तराखंड का परचम
हल्द्वानी-पिथौरागढ़ निवासी टैक्सी चालक की बेटी ने विश्व में तिरंगा लहरा दिया। एक बार फिर देवभूमि का नाम पूरे संसार में रोशन हो गया। पिथौरागढ़ की बेटी शीतल राज ने सबसे कम उम्र में विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा फतह करने वाली पर्वतारोही शीतल ने विश्व की सबसे ऊंची पर्वतचोटी एवरेस्ट भी फतह कर ली है। बेटी की इस सफलता से माता-पिता गदगद है। बता दें कि शीतल राज एवरेस्ट फतह के लिए दो अप्रैल को काठमांडू के लिए रवाना हुई थी। इसके बाद वहां से एवरेस्ट अभियान शुरू किया। 5 अप्रैल को काठमांडू से एवरेस्ट के बेसकैंप के लिए वह रवाना हुई थीं और 15 अप्रैल को बेस कैंप पहुंची। वह 18 पर्वतारोहियों के ग्रुप में शामिल थी। शीतल पांच अप्रैल से 28 मई तक एवरेस्ट अभियान में शामिल हुई थीं उनके साथ यूके व अमेरिका के पर्वतारोही थे।
कई लोगों के सहयोग से पहुंची शिखर पर
शनिवार को शीतल कुमाऊं मंडल विकास निगम के काठगोदाम स्थित गेस्ट हाउस पहुंचीं। इससे पहले 2018 में उन्होंने कंचनजंगा चोटी चढऩे में फतह हासिल की थी। वह अब पहाड़ की युवतियों को पर्वतारोहण के लिए प्रेरित करेंगी। वह गरीब परिवार से है। उसके पिता उमाशंकर राज एक टैक्सी चालक है। जैसे-तैसे परिवार का भरण-पोषण कर रहे है। ऐसे में शीतल के सपनों का पूरा करना उनके लिए लोहे के चने चबाना जैसा था। लेकिन उन्होंने कभी अपने बेटी के सपनों को धूमिल नहीं होने दिया। शीतल की पारिवारिक समस्या को देखते हुए जिलाधिकारी सी. रविशंकर और सीडीओ वंदना ने प्रायोजक खोजने में खुद पहल की। हंस फाउंडेशन, आइआइएलसी, खनिज फाउंडेशन के सहयोग से शीतल के उम्मीदों पर पंख लगाये। इनके अलावा शीतल की मदद आस्ट्रेलिया में रहने वाले प्रवासी भारतीयों ने भी की। तीन महीने तक वह उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्वतारोही योगेश गब्र्याल की देखरेख में पंचाचूली चोटी क्षेत्र में नियमित अभ्यास करती रहीं।