पिथौरागढ़-सेना भर्ती हुआ ये अहम बदलाव, अब देनी होगी ये जरूरी जानकारी

पिथौरागढ़-न्यूज टुडे नेटवर्क- अब सेना भर्ती के लिए स्थानीयता की जानकारी देनी आवश्यक हो गया है। वैसे आम तौर पर कही भी जाति और स्थायी प्रमाण पत्र होता था। वही अब उत्तराखंड में सेना भर्ती में चयन के बाद जमा किए जाने वाले दस्तावेजों में युवाओं को यह आवश्यक रूप से कुमाऊंनी की जानकारी देनी
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पिथौरागढ़-सेना भर्ती हुआ ये अहम बदलाव, अब देनी होगी ये जरूरी जानकारी

पिथौरागढ़-न्यूज टुडे नेटवर्क- अब सेना भर्ती के लिए स्थानीयता की जानकारी देनी आवश्यक हो गया है। वैसे आम तौर पर कही भी जाति और स्थायी प्रमाण पत्र होता था। वही अब उत्तराखंड में सेना भर्ती में चयन के बाद जमा किए जाने वाले दस्तावेजों में युवाओं को यह आवश्यक रूप से कुमाऊंनी की जानकारी देनी होगी। वे कुमाऊंनी हैं या नहीं। सेना अधिकारियों की ओर से जाति प्रमाणपत्र में ही यह जानकारी अंकित करवाने के लिए कहा गया है। गौरतलब है कि पिथौरागढ़ में कुमाऊं मंडल के कई जिलों के लिये सोल्जर (जीडी) और सोल्जर (तकनीकी) के पदों पर भर्ती हुआ थी। अब मेडिकल के परिणाम आ चुके हैं।

पिथौरागढ़-सेना भर्ती हुआ ये अहम बदलाव, अब देनी होगी ये जरूरी जानकारी

सेना भर्ती निदेशक ने जारी की विज्ञप्ति

सेना की ओर से जारी विज्ञप्ति में सेना भर्ती निदेशक संदीप मदान ने कहा है कि मेडिकली फिट युवाओं को पिथौरागढ़ सेना भर्ती कार्यालय में अपने दस्तावेज जमा कराने होंगे। प्रमाणपत्रों में जाति प्रमाणपत्र अहम है। सेना भर्ती निदेशक कहा गया कि जाति प्रमाणपत्र में जाति और धर्म की जानकारी पहले से दी जाती रही है, लेकिन इस बार स्थानीय युवाओं को जाति प्रमाणपत्र में यह जानकारी भी अनिवार्य रूप से देनी होगी कि वे कुमाऊंनी हैं। वही पिथौरागढ़ जिले के एसडीएम सदर एसके पांडेय ने बताया कि कुमाऊंनी अंकित प्रमाणपत्र सिर्फ अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए जारी होते हैं। सवर्ण वर्ग के लिए सरकारी तौर पर ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं है, लेकिन सेना भर्ती के लिए तहसीलदार के माध्यम से सवर्णों को भी प्रमाणपत्र जारी करने की व्यवस्था कर दी है।

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स्थानीय युवाओं को मिलेगा पर्याप्त अवसर

वही सेना भर्ती निदेशक संदीप मदान का कहना है कि कुमाऊं रेजीमेंट की भर्ती में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने के मकसद से यह बदलाव किया गया है। उन्होंने बताया कि अब तक सेना भर्ती में शामिल होने वाले युवाओं से सामान्य जाति प्रमाणपत्र मांगा जाता था। लेकिन इससे राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग रेजीमेंट, राइफल की भर्ती में इन युवाओं के जाने पर अकसर वे बाहर हो जाते थे। अब कुमाऊंनी अंकित होने से कुमाऊं रेजीमेंट की भर्तियों में उन्हें पर्याप्त अवसर मिल सकेगा।