कविता-ओ विश्व के न्यारे वतन!

उत्तराखंड के लोकप्रिय वेब पोर्टल न्यूज टुडे नेटवर्क की ओर से स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आॅनलाइन कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बाल, युवा और वरिष्ठ सभी वर्गों के लोग प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रतियोगिता में मेरे प्यारे वतन विषय पर देशभक्ति से ओत.प्रोत स्वरचित कविता लिखकर 20 अगस्त तक भेजनी
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कविता-ओ विश्व के न्यारे वतन!

उत्तराखंड के लोकप्रिय वेब पोर्टल न्यूज टुडे नेटवर्क की ओर से स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आॅनलाइन कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बाल, युवा और वरिष्ठ सभी वर्गों के लोग प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रतियोगिता में मेरे प्यारे वतन विषय पर देशभक्ति से ओत.प्रोत स्वरचित कविता लिखकर 20 अगस्त तक भेजनी है। इसके तहत राजकीय इंटर काॅलेज जस्सागांजा रामनगर के प्रधानाचार्य डाॅ. मधुसूदन मिश्र की शानदार कविता पढ़िए-

विश्व के भू-भाग पर शीर्षस्थ भारतवर्ष है ,
वेदना के विषम पल में चेतना नवहर्ष है,
धन्यता के धाम को संसार करता है नमन,
प्यारे वतन ! प्यारे वतन ! ओ विश्व के न्यारे वतन!

कश्मीर भारतवर्ष काउत्कर्ष उन्नत भाल है,
हिन्द का सागर समुन्नत शत्रु का भी काल है,
पूर्वपश्चिम की दिशा करती सदा तेरा नमन,
प्यारे वतन! प्यारे वतन !………………..!

सिंधु , गंगा , गोमती , गोदावरी औ’ नर्मदा,
अर्चना , कावेरी करती सोन , यमुना, सर्वदा ,
शस्य – श्यामल है धरा बहती सुपावन पुनपुनम,
प्यारे वतन! प्यारे वतन!……………!

त्याग , करुणाशीलता सुख – शांति शोभित शान है,
सत्य , हिंसाहीन भारत की मधुर पहचान है,
क्रूर , जग का शूर भी नत हो सदा करता नमन,
प्यारे वतन ! प्यारे वतन!………..!