अब सरकारी स्कूल देने जा रहे प्राइवेट स्कूल को टक्कर, उत्तराखंड सरकार ने तैयार कर लिया है ये प्लान…
देहरादून-न्यूज टुडे नेटवर्क : सरकारी स्कूलों में बदहाल शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अब शासन-प्रशासन ने कमर कस ली है। इसके लिए उत्तराखंड सरकार ‘स्कूल एडॉप्शन प्रोग्राम’ शुरू करने जा रही है। जिसके चलते खस्ताहाल व जर्जर हालत वाले सरकारी स्कूलों में ढांचागत सुविधाएं बढ़ाने तथा शिक्षा की गुणवत्ता को सुधार लाने को लेकर स्कूल एडॉप्शन प्रोग्राम शुरू किया जाएगा। सरकार की मंशा है कि समाज में अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को भी हर वह सुविधा मिल सके, जो अन्य को मिलती है। इसी मंशा के तहत सरकार ने कायाकल्प की योजना शुरू करने जा रही है।
कैबिनेट बैठक में एडॉप्शन प्रोग्राम को लागू करने की सहमति
बता दें कि स्कूल एडॉप्शन प्रोग्राम का प्रस्ताव उधमसिंह नगर के जिलाधिकारी डॉ. नीरज खैरवाल ने दिया था। जिलाधिकारी ने उधमसिंह नगर में निजी संस्थानों के साथ मिलकर कुछ सरकारी स्कूलों में सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया था। जिसके बाद सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक में स्कूल एडॉप्शन प्रोग्राम को राज्य स्तर पर लागू करने की सहमति बनी है।
सुख-सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं सरकारी स्कूल
हर प्राइवेट स्कूल में हर क्लास के कमरे साजोसज्जा और सुविधाओं से लबरेज होते हैं, लेकिन यही सुख-सुविधा कभी सरकारी स्कूलों में देखने को नहीं मिलती। जहां सरकार अपनी तरफ से शिक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च करती है वहां यह स्कूल भी निजी को टक्कर देते नहीं दिखाई देते।
स्कूलों के कायाकल्प के साथ पुस्तकालय का भी निर्माण
इस योजना के तहत प्रदेश के खस्ताहाल व जर्जर हालत वाले स्कूलों को एनजीओ और कॉरपोरेट हाउस को सौंपा जाएगा। जिसके तहत वे स्कूलों में पाठ्यक्रम सामग्री, भवन का निर्माण, फर्नीचर और अन्य सुविधा उपलब्ध कराएंगे। इसके अलावा शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था और पुस्तकालय का निर्माण भी किया जाएगा।
लोस चुनाव के बाद आएगी तेजी
वहीं, इस योजना की जानकारी देते हुए शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि यह प्रस्ताव उधमसिंह नगर के जिलाधिकारी डॉ. नीरज खैरवाल लेकर आए थे। इसके लिए उन्होंने अपने जिले में काफी होमवर्क भी किया हुआ था। जबकि, राज्य सरकार उनके इस प्रस्ताव को एक जिले तक ही सीमित न रखते हुए पूरे प्रदेश में इस योजना को लागू करने की स्वीकृति प्रदान की है। उन्होंने बताया कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए प्रत्येक जिले में डीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जाएगी. हालांकि, आगामी चुनाव और आचार संहिता के मद्देनजर चुनाव के बाद इस योजना पर तेजी से काम किया जाएगा।