नैनीताल-ऑनलाइन शॉपिंग पर उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को दिया केंद्र सरकार को शिकायत के निर्देश

नैनीताल-उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ऑन लाइन शॉपिंग कराने वाली कम्पनियो के प्रोडक्ट में जानकारी मुहैया नही कराए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से अपनी शिकायत केंद्र सरकार को दर्ज कराने को कहा है।याचिकाकर्ता ने प्रोडक्ट से जुड़ी जानकारियां, जैसे कहाँ बना है ? किस देश में बना है और
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नैनीताल-ऑनलाइन शॉपिंग पर उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को दिया केंद्र सरकार को शिकायत के निर्देश

नैनीताल-उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ऑन लाइन शॉपिंग कराने वाली कम्पनियो के प्रोडक्ट में जानकारी मुहैया नही कराए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से अपनी शिकायत केंद्र सरकार को दर्ज कराने को कहा है।याचिकाकर्ता ने प्रोडक्ट से जुड़ी जानकारियां, जैसे कहाँ बना है ? किस देश में बना है और उसकी मदर कम्पनी किस देश की है जैसे अनिवार्य सवाल नहीं दिए जाने की शिकायत की थी ।

नैनीताल-ऑनलाइन शॉपिंग पर उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को दिया केंद्र सरकार को शिकायत के निर्देश
खण्डपीठ ने जनहित याचिका को इस आधार पर निरस्त कर दिया है कि याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायत केंद्र सरकार को नही भेजी थी। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि अगर उनकी शिकायत पर केंद्र सरकार सम्बन्धित कम्पनी पर कोई दण्डात्मक कार्यवाही नही करती है तो याचिकाकर्ता दुबारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है ।
मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश रवि कुमार मलिमथ व न्यायमुर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई।
सुनवाई के दौरान असिस्टेंट सॉलिसिटर जर्नल राकेश थपलियाल ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने अभी इस सम्बंध में कोई शिकायत केंद्र सरकार को नही दी है। मामले के अनुसार नैनीताल निवासी अवनीश उपाध्याय ने जनहित याचिका दायर कर ऑनलाइन शॉपिंग कराने वाली कंपनियां जैसे अमेजोन, फ्लिपकार्ट, मिंत्रा, नायका ई रिटेल, स्नैपडील, आजीयो, लाइफ स्टाइटल इंटरनेशनल को पक्षकार बनाया । याचिकाकर्ता का कहना था कि इन कम्पनियो के द्वारा ऑनलाइन शॉपिंग कराते वक्त प्रोडक्ट कहाँ बना है, किस देश मे बना है और उसकी मदर कम्पनी किस देश की है ? यह नही दिखाया जाता है, जिसके कारण उपभोक्ता अपने को ठगा महसूस करता है। अगर उपभोक्ता प्रोडक्ट सही नही होने पर उसके खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत करना भी चाहता है तो वह भी नही कर सकता क्योंकि उस कम्पनी का पता ही नही है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का कहना है कि इस सम्बंध में केंद्र सरकार ने 2011 में लीगल मिट्रोलॉजी एक्ट बनाया था और 2018 में इस एक्ट को संसोधित भी किया था । इसमें कहा गया कि ऑनलाइन शॉपिंग कराने वाली कम्पनियां अपने प्रोडक्ट में उसकी निर्मित अवधि, किस स्थान पर बना है किस देश का है उससे ? ऐसी सभी जानकारियां प्रोडक्ट के साथ देंगे, लेकिन ये कम्पनियां प्रोडक्ट से जुड़ी कोई जानकारी नही देती है। याचिकाकर्ता का कहना है कि ऑन लाइन शॉपिंग कराने वाली कम्पनियां प्रोडक्ट के साथ उससे जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध कराए।