नैनीताल-हाई कोर्ट से लगा पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ा झटका, छह माह के भीतर जमा नहीं हुआ किराया तो होगी ये बड़ी कार्रवाई

नैनीताल-न्यूज टुडे नेटवर्क-आज नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को छह माह के भीतर बकाया किराया जमा करने का महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। किराया जमा न करने की दशा में उन्हें अवमानना का सामना करना पड़ेगा। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी
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नैनीताल-हाई कोर्ट से लगा पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ा झटका, छह माह के भीतर जमा नहीं हुआ किराया तो होगी ये बड़ी कार्रवाई

नैनीताल-न्यूज टुडे नेटवर्क-आज नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को छह माह के भीतर बकाया किराया जमा करने का महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। किराया जमा न करने की दशा में उन्हें अवमानना का सामना करना पड़ेगा। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने इस याचिका पर बीते 26 फरवरी को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। गौरतलब है कि देहरादून की गैरसरकारी संस्था रूरल लिटिगेशन एंड एंटाइटलमेंट केन्द्र की जनहित याचिका दायर कर पूर्व मुख्यमंत्रियों भगत सिंह कोश्यारी, पं स्व. नारायण दत्त तिवारी, रमेश पोखरियाल निशंक, भुवन चंद्र खंडूड़ी व विजय बहुगुणा को सरकारी आवास आवंटित किये जाने का मामला उठाया गया था। जिन पर कुल 2.85 करोड़ रूपये की धनराशि बतौर किराया आंकी गयी थी। पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी पर 4757758 रूपये, स्व एनडी तिवारी पर 11298182 रूपये, पूर्व सीएम डा. रमेश पोखरियाल निशंक पर 4095560 रूपये, भुवनचंद्र खंडूड़ी पर 4659776 रूपये व पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पर 3750638 रूपये की बकाया है।

नैनीताल-हाई कोर्ट से लगा पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ा झटका, छह माह के भीतर जमा नहीं हुआ किराया तो होगी ये बड़ी कार्रवाई

पूर्व सीएम कोश्यारी ने जताई असमर्थता

इससे पूर्व में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक व विजय बहुगुणा की ओर से बताया गया था कि उन्होंने सरकार की ओर से निर्धारित धनराशि जमा कर दी है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के सांसद भगत सिंह कोश्यारी की ओर से धन के अभाव में निर्धारित राशि जमा करने में असमर्थता जतायी गयी थी। याचिकाकर्ता की ओर से जोर दिया गया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को असंवैधानिक तरीके से आवासों का आवंटन किया गया है। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री आवास आवंटन नियमावली 1997 को उच्चतम न्यायालय ने असंवैधानिक घोषित करार कर दिया था। साथ ही कहा गया था कि सन् 2004 में जारी आवास आवंटन संबंधी शासनादेश भी पूर्व मुख्यमंत्रियों पर लागू नहीं होता है।