नैनीताल- राज्यसभा सदस्य सुब्रहमण्यम स्वामी की याचिका पर अब 6 जुलाई को होगी सुनवाई, पढि़ये क्या है पूरा मामला

उत्तराखंड में चारधाम देवस्थान एक्ट को निरस्त करने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट में भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य सुब्रहमण्यम स्वामी की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाही के बाद मामले की अगली सुनवाही 6 जुलाई को होगी। बता दें कि सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका
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नैनीताल- राज्यसभा सदस्य सुब्रहमण्यम स्वामी की याचिका पर अब 6 जुलाई को  होगी सुनवाई, पढि़ये क्या है पूरा मामला

उत्तराखंड में चारधाम देवस्थान एक्ट को निरस्त करने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट में भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य सुब्रहमण्यम स्वामी की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाही के बाद मामले की अगली सुनवाही 6 जुलाई को होगी। बता दें कि सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा गया था कि प्रदेश सरकार द्वारा चारधाम के मंदिरों के प्रबंधन को लेकर लाया गया देवस्थानम बोर्ड अधिनियम अंवैधानिक है। देवस्थानम बोर्ड के माध्यम से सरकार द्वारा चारधाम और 51 अन्य मंदिरों का प्रबंधन लेना संविधान के अनुच्छेद 25 व 26 का उल्लंघन है। जबकी संस्था ने इस जनहित याचिका का विरोध किया। जानकारी के अनुसार मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कांफ्रेसिग के जरिये मामले की सुनवाई हुई। जिसमें रूलक संस्था द्वारा अपना पक्ष रखा गया।

नैनीताल- राज्यसभा सदस्य सुब्रहमण्यम स्वामी की याचिका पर अब 6 जुलाई को  होगी सुनवाई, पढि़ये क्या है पूरा मामला
नैनीताल हाईकोर्ट उत्तराखंड

साथ ही रूलक संस्था की ओर से कोर्ट में मनुस्मृति पेश की गई बता दें कि संस्था द्वारा एटकिंसन का गजेटियर भी पेश किया गया, जिसमें कहा गया कि बद्रिनाथ मंदिर में क्रप्शन है, जिस कारण यहां पर एडमिनिस्ट्रेशन की सख्त आवश्यकता है। संस्था ने 1933 में लोगों से की गई अपील भी मदन मोहन मालवीय की ओर से कोर्ट में पेश की।जिसके बाद से सेक्यूलर मैनेजमेंट और रिलिजियस एक्ट भी 1939 में लाया गया,  जिसमें सेक्यूलर मैनेजमेंट ऑफ टेंपल राज्य को दिया गया था, जबकि रिलिजियस मैनेजमेंट मंदिर पुरोहित को दिया गया है। साथ ही संस्था ने अयोध्या मंदिर का निर्णय भी कोर्ट में पेश किया, जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि गजेटियरों को भी साक्ष्य के रूप में माना जा सकता है। संस्था ने राज्य सरकार द्वारा लाए गए नए एक्ट के बारे में कहा की इसमें कहीं भी हिन्दू धर्म की भावनाएं आहत नहीं होती हैं।