नैनीताल- हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद खिल जाएंगे सरकारी कर्मचारियों के चेहरे, ऐसे पहुंचेगा फायदा
Nainital news, हाई कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण को लेकर एससी-एसटी फेडरेशन समेत अन्य की याचिकाओं को निस्तारित कर दिया। कोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड में सितंबर माह से पदोन्नति पर लगी रोक हट गई है। इधर, आदेश होते ही कर्मचारी संगठनों ने सरकार पर पदोन्नति प्रक्रिया जल्द शुरू करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
बता दें कि पदोन्नति में आरक्षण का मामला हाई कोर्ट पहुंचने के बाद उत्तराखंड में तमाम सरकारी महकमों ने पहली अप्रैल 2019 से ही पदोन्नति पर रोक लगा दी। सरकार ने भी 11 सितंबर को एक आदेश जारी कर पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगा दी। पदोन्नति में रोक की वजह से विभिन्न विभागों के कर्मचारी संगठन सरकार पर हमलावर हैं। पिछले दिनों हाई कोर्ट ने एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए चार माह के भीतर आरक्षित वर्ग के कार्मिकों के डेटा तैयार करने के निर्देश दिए थे।
2012 में राज्य सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण किया था खत्म
नवंबर 2012 में राज्य सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण खत्म कर दिया था। यह मामला फिर सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले में दस दिसंबर की तिथि नियत है। इधर एसएसी-एसटी इम्पलाइज यूनियन, चंद्रप्रकाश, नंदकिशोर समेत अन्य ने याचिका दायर कर आरक्षित वर्ग के कार्मिकों की अलग-अलग सूची तैयार करने व पहले आरक्षित वर्ग के कार्मिकों को पदोन्नति में आरक्षण देने की मांग की। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने विभागों में पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।
सरकार की ओर से सीएससी ने कहा कि 2012 के शासनादेश के निरस्त होने के आधार पर पुराने आदेश स्वत: रिवाइज नहीं होंगे। शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन, न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने एससी-एसटी फेडरेशन समेत अन्य की याचिकाएं निस्तारित करते हुए पदोन्नति पर लगी रोक हटा दी। इधर अदालत के फैसले के बाद उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इम्पलाइज यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि सरकार को यह समझाना होगा कि तमाम कर्मचारी राज्य की सेवा के बाद बिना पदोन्नति के रिटायर हो रहे हैं।
सरकार को सुप्रीम कोर्ट के संभावित फैसले के अधीन कर पदोन्नति शुरू करनी चाहिए। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि राज्य में 30 अगस्त व 31 अगस्त 2001 का रोस्टर लागू किया गया था। यह रोस्टर करीब सौ बिंदुओं का है। राज्य में करीब ढाई लाख सरकारी कार्मिक हैं। इसमें से करीब 35 हजार एससी-एसटी कर्मचारी हैं।