शताब्दी समारोह में बोले मोदी, एएमयू के पास ताकत, सियासत इंतजार कर सकती है डवलपमेंट नहीं

न्यूज टुडे नेटवर्क। एएमयू के शताब्दी समारोह को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को संबोधित किया। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पीएम ने छात्रों से कहा कि सियासत इंतजार कर सकती है लेकिन डवलपमेंट इंतजार नहीं कर सकता। लाल बहादुर शास्त्री के बाद एएमयू के छात्रों को संबोधित करने वाले मोदी दूसरे प्रधानमंत्री हैं। भाषण के
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शताब्दी समारोह में बोले मोदी, एएमयू के पास ताकत, सियासत इंतजार कर सकती है डवलपमेंट नहीं

न्‍यूज टुडे नेटवर्क। एएमयू के शताब्‍दी समारोह को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने मंगलवार को संबोधित किया। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पीएम ने छात्रों से कहा कि सियासत इंतजार कर सकती है लेकिन डवलपमेंट इंतजार नहीं कर सकता। लाल बहादुर शास्‍त्री के बाद एएमयू के छात्रों को संबोधित करने वाले मोदी दूसरे प्रधानमंत्री हैं। भाषण के दौरान मोदी ने कहा कि एएमयू के पास ताकत है यहां के छात्र मिलकर अनुभव ले रहे हैं। ये छात्र देश को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभाते आए हैं। मोदी ने यूनिवर्सिटी के इतिहास और रिसर्च को लेकर छात्रों से विचार साझा किए। उन्‍होंने सेक्‍ल्‍युरिज्‍म पर भी वक्‍तव्‍य दिया।

मोदी ने कहा कि हम कहां पैदा हुए कहां पले बढ़े इस सबसे महत्‍वपूर्ण यह है कि हम देश की आकांक्षाओं से कैसे जुड़ सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि मतभेदों के चलते तमाम वक्‍त खराब हुआ है। डवलपमेंट इंतजार नहीं कर सकता, सियासत  इंतजार कर सकती है। मोदी ने छात्रों से नया आत्‍मनिर्भर भारत बनाने में सहयोग की अपील की।

कहा कि नई शिक्षा नीति में स्टूडेंट्स की जरूरतों को ध्यान में रखा गया है। आज का युवा नई चुनौतियों का समाधान निकाल रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में युवाओं की इसी एस्पिरेशन को प्राथमिकता दी गई है। अब स्टूडेंट्स को अपना फैसला लेने की आजादी होगी। 2014 में 16 IIT थे, अब 23 हैं। आज 20 IIM हैं। शिक्षा सभी तक बराबरी से पहुंचे, हम इसी के लिए काम कर रहे हैं।

युवाओं से मेरी कुछ अपेक्षाएं भी हैं। एएमयू के पास जबरदस्त ताकत है। यहां 100 हॉस्टल हैं। उन्हें प्लान बनाना चाहिए कि उन स्वतंत्रता सेनानियों को खोजकर लाएं, जिनके बारे में अभी तक ज्यादा नहीं सुना गया। आत्मनिर्भर भारत को मजबूत बनाने के लिए एएमयू AMU से सुझाव मिलें तो इससे अच्छा कुछ नहीं होगा। हम कहां और किस परिवार से पैदा हुए, किस मजहब में पले, इससे बड़ा है कि उसकी आकांक्षाएं देश से कैसे जुड़ें। वैचारिक मतभेद होते हैं, लेकिन जब बात देश की लक्ष्य प्राप्ति की हो तो सब किनारे रख देना चाहिए। ऐसी कोई मंजिल नहीं जो हम मिलकर हासिल न कर सकें।