Makar Sankranti 2022 क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व,जानें इसका पौराणिक महत्व
| Jan 11, 2022, 11:05 IST
Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति हिंदू धर्म का ही एक त्यौहार है, जो कि हिंदू धर्म के सभी लोग बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। असल में सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही मकर संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति में मकर शब्द मकर राशि को दर्शाता है जबकि सक्रांति शब्द “संक्रमण” अर्थात् प्रवेश को दर्शाता है।इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, इस विस्थापन को ही सक्रांति कहते है। सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इस कारण इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति काफी महत्व है. इस दिन सूर्य देव उत्तरायण होते हैं. मान्यता है कि इसी दिन से वसंत ऋतु की भी शुरुआत होती है
मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है
मकर संक्रांति किसानों के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण होती है, इसी दिन सभी किसान अपनी फसल काटते है. मकर संक्रांति भारत का सिर्फ एक ऐसा त्यौहार है जो हर साल 14 या 15 जनवरी को ही मनाया जाता है। यह वह दिन होता है जब सूर्य उत्तर की ओर बढ़ता है. हिन्दूओं के लिए सूर्य एक रोशनी, ताकत और ज्ञान का प्रतीक होता है। मकर संक्रांति त्यौहार सभी को अँधेरे से रोशनी की तरफ बढ़ने की प्रेरणा देता है। एक नए तरीके से काम शुरू करने का प्रतीक है. मकर संक्रांति के दिन, सूर्योदय से सूर्यास्त तक पर्यावरण अधिक चैतन्य रहता है, यानि पर्यावरण में दिव्य जागरूकता होती है, इसलिए जो लोग आध्यात्मिक अभ्यास कर रहे है, वे इस चैतन्य का लाभ उठा सकते है।
मकर संक्रांति का क्या इतिहास है?
मकर संक्रांति को लेकर बहुत ही पौराणिक मान्यताएं प्रचलित है। परंतु इसमें से भगवान सूर्य का अपने पुत्र शनि से मिलने की पौराणिक मान्यता सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है।सनातन धर्म मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य स्वयं अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं और भगवान सूर्य के द्वारा उनके घर में प्रवेश मात्र से ही शनि का प्रभाव दुर्बल हो जाता है।क्योंकि सूर्य के प्रकाश के सामने नकारात्मक शक्तियां बिल्कुल भी नहीं टिक पाती और यही कारण है कि मकर संक्रांति पर सूर्य की साधना और सूर्य से संबंधित दान संबंधित कार्य किए जाते हैं और शनि के दोष से मुक्ति मिलती है।
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