सभी धर्मों के छात्रों के लिए खुले मदरसे

लखनऊ, 9 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा है कि राज्य के मदरसों में हर धर्म के छात्रों को शिक्षा पाने का अधिकार है।
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सभी धर्मों के छात्रों के लिए खुले मदरसे लखनऊ, 9 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा है कि राज्य के मदरसों में हर धर्म के छात्रों को शिक्षा पाने का अधिकार है।

उन्होंने कहा, मदरसे धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ हर विषय में आधुनिक शिक्षा प्रदान करते हैं। अगर मुसलमान संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, तो अन्य धर्मों के छात्र मदरसों में शिक्षा क्यों नहीं प्राप्त कर सकते? मुझे नहीं लगता कि किसी को धर्म के आधार पर छात्रों के बीच भेदभाव करना चाहिए। मैं भी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का छात्र रहा हूं।

यह बयान राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के एक नोटिस के जवाब में था।

एनसीपीसीआर के चेयरपर्सन प्रियांक कानूनगो द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र में गैर-मुस्लिम बच्चों को प्रवेश देने वाले सभी सरकारी फंडिंग/मान्यता प्राप्त मदरसों की विस्तृत जांच के लिए कहा गया था।

पूछताछ में बच्चों का फिजिकल वेरिफिकेशन शामिल होना चाहिए।

जांच के बाद, ऐसे सभी बच्चों को औपचारिक शिक्षा के लिए स्कूलों में भर्ती कराया जाना चाहिए।

पत्र में राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में सभी अनमैप्ड मदरसों की मैपिंग करने और तत्काल प्रभाव से औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए किसी भी/सभी बच्चों को स्कूलों में प्रवेश देने का भी निर्देश दिया गया है।

पत्र में रिकॉर्ड और आगे की उचित कार्रवाई के लिए 30 दिनों के भीतर ेएक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) की कॉपी भी मांगी गई है।

डॉ जावेद ने कहा: पारंपरिक शिक्षा के एक अमूल्य साधन के रूप में मदरसों ने समाज के दलित वर्गों के बीच साक्षरता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। छात्र किसी भी धर्म के हो सकते हैं।

राज्य में कुछ मदरसे हैं, जहां संस्कृत और अन्य भाषाएं पढ़ाई जाती हैं। मदरसों में विज्ञान, गणित और अन्य विषय भी पढ़ाए जा रहे हैं।

--आईएएनएस

पीके/एएनएम