हल्द्वानी-गरीबी से लड़ना कोई इनसे सीखें, पहले मौके में महेश ने मार लिया मैदान

हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क-(जीवन राज)- जब आप में कुछ कर गुजरने का दम हो तो भगवान भी साथ देता हैं। जिसने गरीबी भरी जिंदगी गुजारी और बमुश्किल 10वीं तक की पढ़ाई की। जो गरीबी और परिवारकी आर्थिक स्थिति मजबूत न होने से आगे पढ़ नहीं पाया तो क्या हुआ, उसे जो चीजें बचपन से पसंद थी, उन्ही
 | 
हल्द्वानी-गरीबी से लड़ना  कोई इनसे सीखें, पहले मौके में महेश ने मार लिया मैदान

हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क-(जीवन राज)- जब आप में कुछ कर गुजरने का दम हो तो भगवान भी साथ देता हैं। जिसने गरीबी भरी जिंदगी गुजारी और बमुश्किल 10वीं तक की पढ़ाई की। जो गरीबी और परिवारकी आर्थिक स्थिति मजबूत न होने से आगे पढ़ नहीं पाया तो क्या हुआ, उसे जो चीजें बचपन से पसंद थी, उन्ही ने उसे रोजगार दे दिया। संगीत की दुनियां में रखा उसका पहला कदम उसे मंजिल तक ले गया। इसलिए उसे आज के दौर का सुपरस्टार लोकगायक लोग कहने लगे। उनके गानों की मिठास से बच्चे ही नहीं बुजुर्गों को रोक पाना मुश्किल हो जाता है। गरीबी से निकलकर संगीत की दुनियां में कदम रखने वाला ये कलाकार आज उत्तराखंडी गायकी का एक अहम हिस्सा बन चुका है। जिसे तरह तालों में नैनीताल नहीं देखा तो क्या देखा ठीक उसी तर्ज पर उत्तराखंडी गानों में अगर महेश कुमार का गाना नहीं सुना तो क्या सुना। आप भी एक बार जरूर सुनें महेश कुमार के सुपरहिट गाने।

अब भाना बामणी ने मचाई धूम

वर्ष 2015 में उत्तराखंडी संगीत की दुनियां में कदम रखने वाले महेश कुमार ने आते ही समूचे उत्तराखंड में अपनी छाप छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने फिर पीछे मुडक़र नहीं देखा। मूलरूप से सोमेश्वर तहसील के मालौज गांव के रहने वाले महेश आज उत्तराखंड गायकी में एक मंझे हुए गायकों की श्रेणी में खड़े हो गये। वह रूप राम और गंगा देवी के पुत्र है। पांच भाई-बहनों के परिवार में महेश ने गायकी को चुना। बचपन से स्कूलों में गाने के शौक ने आज उन्हें मंजिल पर पहुंचा दिया। उनकी आवाज ने उन्हें सुपरस्टार गायकों की श्रेणी में शामिल कर दिया। न्यूज टुडे नेटवर्क से खास बातचीत में महेश ने बताया कि आठ दिसम्बर को उनका नया गाना भाना बामणी रिलीज हुआ है। इस गाने ने खूब वाहवाही लूटी है। इस गीत में महेश ने हरिद्वार बे हरसिंह घोड़ी से कई पुरानी यादें ताजा कर दी। इस गाने को महेश ने एक नये अंदाज में गाया है जो आपको खूब पसंद आयेगा और आप अपने कदमों झूमने से रोक नहीं पायेगे। इन दिनों शादी-विवाह में भाना बामणी तिले धारौ बौला खूब सुनाई दे रहा है।

हल्द्वानी-गरीबी से लड़ना  कोई इनसे सीखें, पहले मौके में महेश ने मार लिया मैदान

सौली धुरा-धुर जंगला ने बनाया स्टार

इससे पहले उनके सुपरहिट हुए सौली धूरा-धुर जंगला ने उत्तराखंड की नहीं दिल्ली, पंजाब, लखनऊ, मुंबई आदि शहरों में रहने वाले उत्तराखंडियों को खूब नचाया। इसे गाने को अभी तक यू-ट्यूब पर आठ लाख से ऊपर लोग देख चुके है। इस गाने से महेश को उत्तराखंड का स्टार बना दिया। वही उनके छमना बिलौरा को दो लाख से ऊपर लोगों ने देखा है। इसके अलावा उनके मखमली बिलौज, हे समदणी, बांद कुमाऊं, दीपा छोरी, नानी-नानी साली, झस करू पराण, पधाना छोरी, परदेस सुवा, ओ लाटा जौहार लाटा आदि गानों ने खूब धूम मचाई। काफी कम समय पर उन्होंने उत्तराखंडी संगीत में अपना कब्जा कर लिया। महेश ने बताया कि उनका एक और गाना शीघ्र रिलीज होगा। जिसके बोल है कोसी गाणा धना जो गढक़ुमौ फिल्मस से रिलीज होगा। इन दिनों पहाड़ में बच्चे-बच्चे की जुबां पर महेश के गाने है। महेश के गानों में खास बात यह है कि उनके गानों में एकदम ठेठ पहाड़ी भाषा है और पुराने शब्दों को परोने की कला उनमें बचपन से ही भरी है। वही महेश को कई कार्यक्रमों से बुलावे आये है। साथ ही कई जगहों पर वह अपनी प्रस्तुति मंचों पर दे चुके हैं।

WhatsApp Group Join Now
News Hub